काबुल। अफगानिस्तान की राजधानी काबुल के पश्चिमी हिस्से में शुक्रवार (6 मार्च) को एक राजनीतिक रैली के दौरान हुई गोलीबारी में कम से कम 27 लोगों की मौत हुई है। अमेरिका और तालिबान के बीच हुए समझौते के बाद यह सबसे बड़ा हमला है। इस हमले ने अफगानिस्तान की राजधानी के बेहद कड़ी सुरक्षा वाले इलाके में सुरक्षा की कमी को उजागर किया है वह भी तब जब 29 फरवरी को अमेरिका और तालिबान के बीच हुए समझौते के मुताबिक 14 महीनों के अंदर विदेशी बलों की देश से वापसी होनी है।
गृह मंत्रालय के प्रवक्ता नसरत रहीमी ने कहा कि मृतकों में महिलाएं व बच्चे शामिल हैं और इसके अलावा 29 अन्य लोग जख्मी हैं। उन्होंने कहा, ''अफगान विशेष बल हमलावरों के खिलाफ अभियान को अंजाम दे रहे हैं।" उन्होंने कहा, “इन आंकड़ों में बदलाव होगा।” स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारी निजामुद्दीन जलील ने मृतकों की संख्या थोड़ा बढ़ाते हुए कहा कि 29 लोग मारे गए हैं जबकि 30 अन्य घायल हैं।
तालिबान ने तत्काल हमले की जिम्मेदारी से इनकार किया है। हमला हाजरा जातीय समुदाय से आने वाले राजनेता अब्दुल अली माजारी की स्मृति में आयोजित एक समारोह पर किया गया। इस समुदाय के अधिकांश लोग शिया हैं। इस्लामिक स्टेट के एक समूह ने पिछले साल इसी समारोह में हमले का दावा किया था और तब एक के बाद एक दागे गए कई मोर्टार की वजह से कम से कम 11 लोगों की जान गई थी।
रहीमी ने पूर्व में कहा था कि शहर के पश्चिम में स्थित समारोह स्थल के पास एक निर्माणाधीन जगह पर मुठभेड़ शुरू हुई। इस इलाके में ज्यादातर शिया आबादी है। सोशल मीडिया पर आई तस्वीरों में हमले के बाद लोग शवों को इकट्ठा करते दिख रहे हैं। राष्ट्रपति अशरफ गनी ने नरसंहार की निंदा करते हुए इसे “मानवता के खिलाफ अपराध” करार दिया।
समारोह में अफगानिस्तान के मुख्य कार्यकारी अब्दुल्ला अब्दुल्ला समेत देश के कई शीर्ष नेता शामिल हुए। गृह मंत्रालय ने बाद में संवाददाता से इस बात की पुष्टि की कि “सभी उच्च पदस्थ अधिकारियों को मौके से सुरक्षित निकाल लिया गया।” हाजरा नेता मोहम्मद मोहाकिक ने तोलो न्यूज को बताया, “गोलियां चलने के बाद हम समारोह से निकल गएथे और कई लोग घायल हुए, लेकिन हमारे पास मारे गए लोगों के बारे में जानकारी नहीं है।”