गुड़गांव के साइबर हब और इंदौर की 56 दुकानों की तर्ज पर लोकेंद्र भवन के सामने बनने वाली चौपाटी का प्रोजेक्ट चौपट होकर रह गया है। 6 साल में इस तरह की यह दूसरी योजना है, जो बिना सोचे-समझे बनाए जाने के कारण ठप होकर रह गई है। दोनों ही बार योजना का सर्वे, एस्टीमेट और टेंडर करने में दो से तीन लाख खर्च हुआ वह अलग। फूड जोन की योजना ड्राइंग-डिजाइन की गड़बड़ी से तो रतलाम फूड जंक्शन का प्रोजेक्ट बिना आकलन के बना देने से अटक गया। अतिक्रमण हटाने के बाद स्टेडियम मार्केट के दुकानदारों द्वारा लाए गए कोर्ट स्टे से प्रोजेक्ट पूरी तरह ठप हो गए।
फायदा सिर्फ यह हुआ कि दोनों ही बार अफसरों ने हेकड़ी दिखाते हुए सरकारी जमीन से अच्छा-खासा अतिक्रमण जरूर हटा दिया। हालांकि रतलाम फूड जंक्शन में अभी भी एक पतली गली बाकी है। निगम वैल्यूएशन और फिजिकल वेरिफिकेशन करवा रहा है। इसमें फिट बैठा तो प्रोजेक्ट धरातल पर उतर सकता है, हालांकि इसकी उम्मीद कम है।
दोनों योजनाओं के हाल: सिर्फ कागजों में ही बनाते गए
फूड जोन
क्या होना था - यह लोकेंद्र भवन के सामने रोड के किनारे वाली लगभग 0.8 हेक्टेयर में प्रस्तावित था। करीब 2.4 करोड़ रुपए में खान-पान की दुकानें, बैठने की जगह, गार्डन और पार्किंग एरिया बनना था। इसे पहले कालिका माता परिसर में पशु चिकित्सालय की जगह पर बनाया जाना था। निगम उसे शिफ्ट नहीं करवा पाया तो लोकेंद्र भवन की जमीन चयनित की।
क्या हुआ - एस्टीमेट बना, टेंडर फाइनल भी हो गए। बाद में ड्राइंग-डिजाइन में गड़बड़ी निकलने पर इंजीनियरों ने ले-आउट ही नहीं दिया। समय सीमा खत्म होने पर ठेकेदार ने भी मना कर दिया।
रतलाम फूड जंक्शन
क्या होना था - लोकेंद्र भवन के सामने ही 24 हजार वर्ग फीट में 12.50 करोड़ की लागत से विकसित होना था। एक मंजिला बिल्डिंग में 45 दुकानों के साथ 200 वाहनों के लिए पार्किंग स्पेस, ओपन शो थिटेयर, एक्जीबिशन व मीटिंग के लिए स्पेस, गार्डन आदि बनना था। तत्कालीन कलेक्टर कुमार पुरुषोत्तम ने इसे साइबर हब गुड़गांव व 56 दुकान इंदौर की तर्ज पर बनाने का दावा किया था।
क्या हुआ - टेंडर होने के बाद 9 माह से मामला पेंडिंग है। क्योंकि एक तो फंड नहीं जुट पाया, दूसरे दुकानों की कीमत बहुत ज्यादा निकल रही है, वह भी तब जबकि निगम संपत्तियों को कोई खरीदने को तैयार नहीं है।
रतलाम फूड जंक्शन का प्रोजेक्ट अभी विचाराधीन होकर प्रोसेस में है। चयनित जगह पर प्रोजेक्ट सक्सेस होगा या नहीं, आकलन किया जा रहा है। सब ठीक रहा तो विकसित करेंगे। -हिमांशु भट्ट, आयुक्त नगर निगम
निगम ने स्टेडियम मार्केट की दुकानें खरीदने वालों को भी हटाने का नोटिस दे दिया था। कोर्ट ने दो-तीन दुकानदारों को स्टे दे रखा है। यह प्रकरण के डिस्पोजल होने तक रहेगा। -नीरज सक्सेना, अभिभाषक