केंद्रीय मंत्री तोमर व सिंधिया से खफा नेता पूर्व मंत्री जयभान सिंह पवैया के नेतृत्व में हो रहे सक्रिय

Posted By: Himmat Jaithwar
10/28/2022

ग्वालियर। विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा में नए समीकरण बनना शुरू हो गए हैं। संगठन में भाजपा की राजनीति पिछले दो साल से दो ध्रुवों पर केंद्रित नजर आ रही थी। पहला ध्रुव केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर व दूसरा ध्रुव केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के रूप बना। दोनों ध्रुवों से तालमेल नहीं बैठा पा रहे अंचल के कुछ नेता अब बजरंगदल के राष्ट्रीय अध्यक्ष जयभान सिंह पवैया के नेतृत्व तीसरा ध्रुव बनने की तैयारी कर रहे हैं।

इसकी झलक पूर्व मंत्री के निवास पर हुई सामूहिक गोवर्धन पूजन में देखने को मिली। हालांकि दीपावली पर ज्योतिरादित्य सिंधिया के अलावा नरेंद्र सिंह तोमर भी नगर में मौजूद थे। नरेंद्र सिंह ने सरकारी निवासी पर लोगों से मिले, जबकि सिंधिया घर-घर जाकर मिल रहे हैं। वहीं तीसरे धु्रव में संगठन के खांटी नेता धीरे-धीरे जमा हो रहे हैं। इस तीसरे ध्रुव ने महापौर के टिकट में दोनों ध्रुवों को अपनी ताकत का अहसास सुमन शर्मा को उम्मीदवार बनाकर कराया था। किंतु महापौर चुनाव हारने के बाद इस तीसरे धड़े को बड़ा झटका लगा था।

दोसाल पहले एकमात्र केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर का संगठन में बोलबाला था। संगठन में नियुक्ति से लेकर टिकट व अन्य फैसलों में तोमर की अहम भूमिका होती थी, क्योंकि उनकी कें“ सरकार में मजबूत पकड़ थी और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के साथ भी बेहतर तालमेल था।

ज्योतिरादित्य सिंधिया के राजमाता विजयाराजे सिंधिया के उत्तराधिकारी के रूप में भाजपा में शामिल होने के बाद समीकरण बदले। अप्रत्यक्ष रूप से संगठन की नरेंद्र सिंह तोमर आत्मनिर्भरता कम हुई। अब संगठन से जुड़े फैसलों में सिंधिया की सहमति भी अहम होती है। हालांकि नरेंद्र सिंह तोमर ने जिले में अभय चौधरी की जिलाध्यक्ष पद पर नियुक्ति कराकर इस बात का संदेश दिया कि उनकी पकड़ आज भी मजबूत है। सिंधिया भी अंचल के अलावा मालवा व बुंदेलखंड में अपनी सक्रियता बनाये हुए हैं।
शीर्ष पदों पर रहने के बाद भी घर बैठने से नाराज हैं कुछ नेता

- अंचल के कुछ केंद्रीय मंत्री तोमर से नाराज थे। सिंधिया के रूप में दूसरा मजबूत होने के बाद भी यह नेता उनसे तालमेल नहीं बैठा पाए, क्योंकि उनकी राजनीति का आधार ही महल विरोधी था। यह नेता भी नहीं चाहते हैं कि सिंधिया, तोमर का मजबूत विकल्प के रूप में उभरे। किंतु तोमर से उनकी गोटी नहीं बैठती है। शीर्ष पदों पर रहने के बाद भी कुछ नेता घर बैठे हुए थे। अब पवैया के नेतृत्व में तीसरा ध्रु्रव भी सक्रिय हो रहा है। यह नेता अपने अधिकारों को सुरक्षित रखने के लिए मजबूरीवश एक जुट हो रहे हैं। तीसरा ध्रुव संगठन व अंचल की राजनीति में कितना अहम रोल अदा कर पाएगा, यह विधानसभा चुनाव में मिलने वाली भूमिकाओं से तय होगा।



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