जबलपुर। पति अपनी पत्नी को धनतेरस पर नया मोबाइल दिलवाएगा। इस शर्त पर पति-पत्नी के बीच चल रहा विवाद हल हो गया। मध्यस्थता के जरिए पति-पत्नी को दी गई समझाइश इसके पीछे मुख्य वजह रही। यह मामला सोलहवें जिला न्यायाधीश अरुण प्रताप सिंह के न्यायालय में लंबित था। दांपत्य जीवन की पुनर्रस्थापना से संबंधित यह मामला जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के समक्ष भेजा गया। मुख्य मंशा यही थी कि मध्यस्थता के जरिए विवाद हल करा दिया जाए। लिहाजा, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव उमाशंकर अग्रवाल ने प्रशिक्षित मध्यस्थ दिनेश कुमार गुप्ता को जिम्मेदारी सौंप दी। उन्होंने पति-पत्नी दोनों से पृथक-पृथक बातचीत की।
इसके जरिए पूरे विवाद को गहराई से समझा। इस प्रक्रिया में यह तथ्य सामने आया कि विवाद की वजह घरेलू व पारिवारिक छोटी-छोटी बातें हैं। पत्नी का आरोप था कि पति मायके वालों से बातचीत करने से रोकता है। साथ ही नया मोबाइल भी नहीं दिलवा रहा है। समझाइश के बाद पति ने पत्नी से वादा किया कि वह इस बार धरतेरस पर नया मोबाइल दिलवा देगा। यह सुनते ही पत्नी ने गिले-शिकवे भुला दिए और साथ रहने तैयार हो गई। पति भी प्रसन्न हो गया। दोनों खुशी-खुशी घर की तरफ लौटे। पत्नी ने वादा किया कि वह ससुराल में सभी का ख्याल रखेगी।
हाई कोर्ट ने एसडीओ को जवाब के लिए दिया समय :
हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति विवेक अग्रवाल की एकलपीठ ने एसडीओ छिंदवाड़ा को जवाब पेश करने के लिए समय दे दिया है। साथ ही यह अंतरिम शर्त भी लगा दी है कि यदि शिवोम बिल्डर के किशोर साहू याचिका के विचाराधीन रहने के दौरान निर्माण करते हैं, तो अपने खर्च हटाने जिम्मेदार होंगे। साथ ही वे किसी तरह का मुआवजा पाने के हकदार नहीं होंगे। याचिकाकर्ता छिंदवाड़ा निवासी माया सातपूते, अंकुश, अनिल, सुनील, आशा, ईटा, रामनाथ, विश्वनाथ व चंदा की ओर से अधिवक्ता अशोक चक्रवर्ती ने पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी कि याचिकाकर्ता गरीब तबके से आते हैं। शिवोम बिल्डर के किशोर साहू, जयनारायण, स्पर्णलता, प्रशांत, अनुज सक्सेना व सविता पराते उनकी आजीविका के एकमात्र साधन कृषि भूमि को हड़पने की मंशा से अवैध निर्माण करने की तैयारी में हैं।