बड़वानी। बड़वानी के शिक्षिका के मार्गदर्शन में निमाड़ के ग्रामीण क्षेत्र की महिलाएं प्राकृतिक खेती कर रही हैं। वे प्राकृतिक केले का उत्पादन और बिक्री कर रहे हैं, साथ ही बचे केले से चिप्स बनाकर गुजरात के अहमदाबाद, इंदौर, धार और बड़वानी जिलों में भेजे जा रहे हैं। नवरात्र में यहां केले के चिप्स की काफी डिमांड रहती है। इस कार्य में लगभग 100 महिलाओं को रोजगार मिल रहा है। प्राकृतिक केले की फसल 100 एकड़ में उगाई जा रही है। शिक्षिका दीपाली पाटीदार और उनकी टीम की महिलाएं क्षेत्र में प्राकृतिक खेती और उसके उत्पादों के लिए यह प्रयास कर रही हैं। दीपाली ने बताया कि उन्होंने प्राकृतिक खेती के बारे में विस्तार से जानकारी ली। इसके बाद पति रोहित पाटीदार के साथ खेती करने लगे।
बेहतर फसल को बाहर भेज दिया गया। गुजरात में इसे खूब पसंद किया गया, वहीं पश्चिम से निकले केलों से चिप्स बनाने का उपक्रम शुरू किया गया। इसके बाद जो केला बाहर निर्यात नहीं होता, उसे यहां बनाकर पैक कर गुजरात के अहमदाबाद, इंदौर, उज्जैन, बड़वानी और धार जिलों में भेजा जाता था। इस काम में क्षेत्र की करीब 100 महिलाएं शामिल हैं। अब सभी महिलाएं मिलकर केले के चिप्स बनाकर आत्मनिर्भर गृहिणी बन गई हैं। इस काम में हर महिला को प्रतिदिन 200 से 400 रुपये की आमदनी होती है। प्राकृतिक खेती से बनने वाले आर्गेनिक केले के चिप्स को हर जगह पसंद किया जा रहा है। यह सेहत के लिए पूरी तरह फायदेमंद है।
गोमूत्र और गोबर से गुड़ से बनी खाद
दीपाली पाटीदार ने बताया कि गोमूत्र और गोबर में गुड़ मिलाकर विशेष जीवामृत खाद बनाकर खेती की जाती है। इसे जीरो बजट प्राकृतिक खेती भी कहा जाता है। सुभाष पालेकर के मार्गदर्शन में महाराष्ट्र में इस खेती को और बढ़ावा मिल रहा है।