किसी ने जमीन को सजदा कर चूमा, किसी को बेटी की शादी की चिंता तो कोई अब विदेश लौटना ही नहीं चाहता

Posted By: Himmat Jaithwar
5/10/2020

लखनऊ. वंदे भारत मिशन के तहत कोरोनावायरस महामारी के चलते विदेश में फंसे भारतीयों को लाया जा रहा है। शनिवार की देर शाम लखनऊ एयरपोर्ट पर शारजाह से भारतीयों को लेकर एक विमान पहुंचा। एयरपोर्ट पर भारतीय उतरे तो अपने वतन की मिट्टी की खुशबू दिल-ओ-दिमाग को सुकून दे रही थी। किसी ने एयरपोर्ट पर रेलिंग को छूकर हकीकत में बदले सपने को साकार होने का आभास किया तो कोई आंखों में नीर भरे झुककर देश की मिट्टी को सजदा करने लगा। हर किसी के पास विदेशों में बिताए मुश्किल दौर की अपनी कहानी थी। कोई किसी से उधार रुपए लेकर लौटा तो कोई अब अपना वतन छोड़कर दोबारा वापस जाना ही नहीं चाहता है। शारजाह से लौटे 5 प्रवासी भारतीयों की कहानी, उनकी जुबानी...

अपने देश की मिट्टी को चूमा, कहा- मुझे अपने भारतीय होने पर गर्व

पेशे से फैशन डिजाइनर मोहम्मद साजिद अयोध्या के रहने वाले हैं। वे कहते हैं, 'मैं ढाई महीने से सऊदी अरब में फंसा था। कोरोना के कारण वहां बहुत सख्ती है। खाने पीने की दिक्कत नहीं थी। धीरे-धीरे राशन और पैसे खत्म हो रहे थे। इस दौरान मन में कई तरह के ख्याल आते थे। लगता था कि अब शायद ही अपने देश लौट पाऊं। घरवालों से बात होती थी तो आंखों में आंसू आ जाते थे। यहां घर वाले तो वहां मैं बेबस था। 28 मार्च को आना था, लेकिन जिस फ्लाइट से आना था वह कैंसिल हो गई। मुझे टिकट के लिए पैसे दूसरे से लेना पड़ा। क्योंकि मैंने पहले ही भारत से ही रिटर्न टिकट करवा रखा था। जब से लॉकडाउन हुआ तब से मैं लगातार इंडियन एम्बेसी के संपर्क में था।कभी कॉल तो कभी मेल करता था। जैसे ही मुझे पता चला कि स्पेशल फ्लाइट आने वाली है। उस वक्त मुझे कितनी खुशी मिली, मैं बयां नहीं कर सकता।' यह कहते हुए साजिद रोने लगे। उन्होंने एयरपोर्ट पर झुककर अपनी मिट्टी का सजदा किया। साजिद ने फिर कहा, 'मैं अब शायद ही विदेशी वापस जाऊं, मुझे भारत में रहकर अपना काम करना है। मैं भारत लौटने पर बहुत ही प्राउड फील कर रहा हूं। मुझे अपने भारत पर गर्व है।'

साजिद ने एयरपोर्ट पर झुककर अपनी मिट्टी को नमन किया।

'भले ही एक रोटी कम खाएं, पर वह अपने देश की हो'

शंकर यादव, प्रयागराज के रहने वाले हैं। वह कहते हैं, 'अपने वतन में काम नहीं मिला तो मैं किसी के जरिए एक कंपनी में सुपरवाइजर बनकर 2 साल पहले सऊदी चला गया था। महीने का अच्छा खासा कमा लेता था। उसी से घर भी चल रहा था। परिवार प्रयागराज में ही रहता है। जब लॉकडाउन हुआ तो वहां के सख्त नियमों के कारण निकलना ही बन्द हो गया। शुरुआत में तो ठीक था लेकिन धीरे धीरे पैसे खत्म होने लगे। नौबत यह आ गई कि एक वक्त का खाना खाकर गुजारा करना पड़ा। कंपनी में ही रुकना पड़ा। हमारे साथ कुछ और भी लोग थे। सब लोग बहुत डरे हुए थे। दिमाग में यही चल रहा था कि क्या अब अपने परिवार का मुंह देख सकूंगा या नहीं। क्या यहीं मरना होगा। भारत आने के लिए मैं ऐप के जरिए एम्बेसी के संपर्क में था। जैसे ही पता चला मैंने अपना टिकट करवाया और चला आया। इस महामारी ने यह बात समझा दी है कि भले ही एक रोटी कम खाने को मिले, लेकिन अब काम यही करेंगे। अब दोबारा हम विदेश नही जाएंगे। 

शंकर यादव, प्रयागराज के रहने वाले हैं।

'बेटियों की शादी के लिए कमाने गया, उधार लेकर लौटा हूं'

कुशीनगर के रहने वाले प्रमोद यादव पांच महीने पहले रोजी रोटी के लिए दुबई गए थे, लेकिन कोरोना ने रोजी रोटी छीन ली। अपने वतन लौटने की खुशी प्रमोद के चेहरे पर साफ झलक रही थी। लेकिन मन में कहीं न कहीं एक मायूसी भी थी। वह कहते हैं,  'घर में दो बेटियां हैं, उनकी शादी करनी हैं। रिश्तेदारों और दोस्तों से पैसे उधार लेकर दुबई गया था। सोचा था कि कर्ज भी चुका दूंगा और बेटियों की शादी भी कर दूंगा। लेकिन सब उल्टा हो गया। थोड़े बहुत जो पैसे थे, वह लॉकडाउन में खर्च हो गए। कंपनी ने हमें बताया कि स्पेशल फ्लाइट भारत जा रही है, जाना हो तो टिकट करा लो। वहां मेरे पास टिकट के भी पैसे नही थे। दोस्तों से उधार लिए तब टिकट कराकर वापस आ पाया हूं। अब सोच रहा हूं कि आगे की जिंदगी कैसे चलेगी? ' 

प्रमोद।

पैसों की किल्लत के चलते पति ने पत्नी को लखनऊ भेजा, खुद दुबई में

लखनऊ के रहने वाली शकुंतला 2 महीने पहले अपने पति के पास दुबई गई थीं। शकुंतला कहती हैं, 'मेरे पति वहां पर काम करते हैं। कोरोना वायरस की वजह से लॉकडाउन हुआ और सभी लोग वहां फंस गए। इस दौरान फाइनेंशियल प्रॉब्लम का सामना करना पड़ा। वहां पर कोई भी मदद करने वाला नहीं था। ट्विटर से पता चला कि भारत सरकार दुबई में फंसे लोगों को भारत वापस लाएगी तब उन्होंने मेरा 15 हजार रुपए में टिकट कराकर वापस भेज दिया। फाइनेंशियल दिक्कत होने की वजह से मेरे पति वापस नहीं लौटे हैं। मुझे उनकी चिंता है।'

लखनऊ के रहने वाली शकुंतला 2 महीने पहले अपने पति के पास दुबई गई थीं।

'एक माह से एक वक्त खाना खाकर किया गुजारा'

कुशीनगर के रहने वाले अरविंद सिंह कहते हैं, 'कोरोना की वजह से दो महीने से फंसे हुए थे। शुरू में तो कंपनी ने ख्याल रखा, लेकिन 20 दिन बीतने के बाद कंपनी वालों ने दो टाइम की जगह एक टाइम खाना देना शुरू कर दिया। बीते एक महीने से एक टाइम में खाना खा रहा हूं। मैं लगातार कंपनी के लोगों से भारत लौटने के बारे में पूछता रहता था। उन्होंने आश्वस्त किया था कि जैसे ही कोई फ्लाइट चलेगी बताएंगे। इसी बीच मुझे न्यूज के जरिए जानकारी मिली कि भारत सरकार दुबई में फंसे लोगों को भारत वापस लाने के लिए फ्लाइट भेजेंगी। मैंने तत्काल भारतीय राजदूत कार्यालय में संपर्क किया और टिकट बुक करा लिया। मैं भारत लौट आया हूं। मैं बहुत खुश हूं। लेकिन मेरे कई साथी वहां पर फंसे हुए हैं। सऊदी अरब में कोरोना की वजह से बहुत ज्यादा दिक्कतें हैं, जिनका सामना करना सबके बस की बात नहीं है।'



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