नई दिल्ली | यस बैंक (Yes Bank) ने 1000 करोड़ इक्विटी शेयरों को स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) समेत 7 बैंकों को आवंटित कर है। इन शेयरों की कुल वैल्यू 10 हजार करोड़ रुपए है। संकट से जूझ रहे यस बैंक को बचाने के लिए एसबीआई के नेतृत्व में बनी रेस्क्यू स्कीम में शामिल होने वाली बैंकों में आईडीएफसी फर्स्ट बैंक भी शामिल हो गया है। आईडीएफसी फर्स्ट ने यस बैंक में 250 करोड़ रुपए का निवेश किया है। अभी तक सभी प्राइवेट बैंकों की ओर से यस बैंक में 3,950 करोड़ रुपए का निवेश किया जा चुका है। रेग्यूलेटरी फाइलिंग में यस बैंक ने कहा कि उसकी तरफ से 395,00,000 इक्विटी शेयरों को जारी कर दिया गया है।
एसबीआई को 6050 करोड़ रुपए में 605 करोड़ शेयर आवंटित
एसबीआई को 6050 करोड़ रुपए में 605 करोड़ शेयर आवंटित किए गए हैं। इस कदम के बाद एसबीआई की यस बैंक में 49 फीसदी हिस्सेदारी हो जाएगी। आरबीआई की रेस्क्यू स्कीम के मुताबिक एसबीआई, यस बैंक में अपनी हिस्सेदारी 26 फीसदी से कम नहीं कर सकेगा। संकट के दौर से जूझ रहे यस बैंक में आईसीआईसीआई बैंक की ओर से 1000 करोड़ रुपए निवेश करने का एलान किया गया है। आईसीआईसीआई बैंक ने 10 रुपए प्रति शेयर के हिसाब से 100 करोड़ इक्विटी शेयर खरीदे हैं। एक्सिस बैंक 600 करोड़ रुपए और कोटक महिंद्रा बैंक 500 करोड़ रुपए का निवेश करेगा। इसके अलावा यस बैंक में 300 करोड़ रुपए का निवेश बंधन बैंक करेगा।
यस बैंक में 250 करोड़ रुपए का निवेश करेगा आईडीएफसी फर्स्ट बैंक
आईडीएफसी फर्स्ट बैंक ने रविवार को कहा कि वह आर्थिक संकट से घिरे यस बैंक में 250 करोड़ रुपए का निवेश करेगा। इस निवेश के जरिए आईडीएफसी बैंक यस बैंक के 25 करोड़ शेयरों का अधिग्रहण करेगा। बैंक की ओर से बीएसई फाइलिंग में कहा गया है कि बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स ने इस 250 करोड़ रुपए के इक्विटी निवेश को 14 मार्च को मंजूरी दे दी है। यह इक्विटी खरीदारी 10 रुपए प्रति शेयर की दर से की जाएगी जिसकी फेसवैल्यू 2 रुपए प्रति शेयर होगी। इससे पहले शनिवार को फेडरल बैंक ने भी यस बैंक में 300 करोड़ रुपए का निवेश करने का ऐलान किया था। फेडरल बैंक यस बैंक के 30 करोड़ शेयर खरीदेगा।
75 फीसदी शेयर को करना होगा लॉक-इन
प्राइवेट बैंक में निवेश करने वाले निवेशकों के सामने यह शर्त रखी गई है कि उन्हें बैंक में अपने कुल निवेश की 75 फीसदी राशि को लॉक-इन पीरियड में रखना होगा। मतलब अगर आपने यस बैंक के 100 से अधिक शेयर खरीदे तो इनमें से 75 फीसदी हिस्सेदारी को 3 साल के लिए लॉक इन कर दिया जाएगा। यानी तीन साल तक आप ये शेयर नहीं बेच सकेंगे। हालांकि अगर किसी निवेशक के पास 100 से कम शेयर हैं तो वो अपने पूरे शेयर बेच सकता है।
क्या है लॉक इन?
लॉक-इन अवधि वह समय होता है जिसके दौरान निवेशक किसी संपत्ति को बेच नहीं सकते। उदाहरण के लिए अगर आपके पास यस बैंक के 100 शेयर हैं तो रेट बढ़ने या घटने पर आप सिर्फ 25 शेयर ही बेच सकेंगे। 75 शेयर को अगले तीन साल तक नहीं बेच सकेंगे। लॉक इन में निवेश की गई राशि को एक सीमित समयावधि के लिए ब्लॉक कर दिया जाता है।