मप्र में बीजेपी नेताओं को लगा मिशन फेल होने का डर, जताई ये आशंका

Posted By: Himmat Jaithwar
3/15/2020

नई दिल्‍ली।मध्‍य प्रदेश में हर पल सियासी समीकरण बन और बिगड़ रहे हैं। कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही पार्टियों के नेता अपनी-अपनी सरकार बनाने की कवायद में लगे हुए हैं। यह भी सच है कि दोनों ही पार्टियों के नेताओं को यह भी आशंका है कि कही उनका मिशन फेल ना हो। ऐसे में बीजेपी ने भी अपने एक डर को लेकर राज्यपाल लालजी टंडन से मुलाकात की और आशंका जताई कि सोमवार को होने वाले फ्लोर टेस्‍ट में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन में कुछ गड़बड़ी हो सकती है।

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, बीजेपी का एक प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल लालजी टंडन से मिला और विधानसभा की इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन में तकनीकी गड़बड़ी की स्थिति से अवगत कराया। इस प्रतिनिधिमंडल ने राज्‍यपाल के सामने मतदान की ऐसी प्रक्रिया अपनाने का आग्रह किया, जिससे फ्लोर टेस्ट के दौरान निष्पक्ष तौर पर मतदान हो। बीजेपी की तरफ से नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव व पूर्व मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने राजभवन पहुंचे और राज्यपाल से मिलकर विधानसभा की इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन में खराबी की जानकारी दी। उन्‍होंने सुझाव दिया कि मतदान के लिए मशीन के खराब होने पर फ्लोर टेस्ट के समय हाथ उठाने की प्रक्रिया अपनाई जाए।

इससे पहले शनिवार देर रात को राज्यपाल लालजी टंडन ने मुख्यमंत्री कमलनाथ और विधानसभा अध्यक्ष को पत्र लिखा, जिसमें उन्होंने सोमवार को अभिभाषण के तुरंत बाद विश्वास प्रस्ताव पर मतदान कराने व मत विभाजन बटन दबाकर किए जाने और इसकी वीडियोग्राफी कराने की बात कही है। वहीं बीजेपी नेताओं ने राज्यपाल से करके अभिभाषण व बजट सत्र से पहले फ्लोर टेस्ट की मांग की। राज्यपाल से मुलाकात कर राजभवन से बाहर निकले पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा, "राज्य में अल्पमत की सरकार है, इसलिए राज्यपाल के अभिभाषण और बजट सत्र से पहले फ्लोर टेस्ट हो।"

अभी ये है समीकरण...

विधानसभा की वर्तमान स्थिति पर गौर करें तो 230 सीटों में से दो स्थान रिक्त हैं। जिसमें से कांग्रेस के छह विधायकों का इस्तीफे मंजूर हो गया है। विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने 108 सीट जीतीं थी, जिसमें से उसके 6 विधायकों की सदस्‍यता रद्द होने के बाद उसके विधायको की संख्‍या 102 बची। हालांकि अभी 4 निर्दलीय, 2 बसपा और एक सपा का विधायक भी है। लेकिन 6 विधायकों के इस्‍तीफे के बाद कुल 222 विधायकों के सदन में बहुमत के लिए 112 विधायकों की संख्‍या होना जरूरी है, जोकि अभी तक कांग्रेस के पास किसी भी तरह से मिलती नहीं दिख रही है।

वहीं दूसरी तरफ बीजेपी के पास अपने 107 विधायक हैं और उसको 112 विधायकों का समर्थन हासिल करने के लिए कुल 5 विधायकों का साथ चाहिए। ऐसे में यह कहा जा रहा है कि बीजेपी इसी जोड़-तोड़ में लगी हुई है कि कांग्रेस के अभी कुछ और विधायकों की सदस्‍यता रद्द हो तो वह अपने ही विधायकों के दम पर आसानी से सरकार बना ले।



Log In Your Account