प्रधानमंत्री नरेन्द्र माेदी ने अपने जन्मदिन के अवसर पर आज देश काे चीता युग की वापसी का उपहार दिया है। श्याेपुर के कूनाे अभयारण्य में चीताें काे बाड़े में छाेड़ने के बाद प्रधानमंत्री माेदी ने अपने संदेश में कहा कि आज हमने अतीत में की गई गलतियाें काे सुधारा है। आज हमने पूरी दुनिया काे संदेश दिया है कि हम पर्यावरण के साथ विकास भी कर सकते हैं। हम पांचवी अर्थव्यवस्था भी बने हैं और पर्यावरण संरक्षण भी कर रहे हैं।टाइगर की संख्या दाेगुनी करने का लक्ष्य भी हमने समय से पहले पूरा किया है। आने वाली सदियाें तक वन्य जीवाें और पर्यावरण के लिए किए जा रहे प्रयासाें का सकारात्मक असर दिखाई देगा। आज समय है कि हम ग्लाेबल चुनाैतियाें काे व्यक्तिगत चुनाैती भी मानें। भारत के प्रयास पूरी दुनिया के लिए पथ प्रदर्शक बनेगा।पीएम नरेन्द्र माेदी ने देश के नाम अपने संबाेधन में कहा कि आजादी के अमृतकाल में देश अब नई ऊर्जा के साथ चीताें के पुनर्वास के लिए जुट गया है। आज हमारी वर्षाें की मेहनत रंग लाई है। चीताें की भारत की धरती पर पुनर्जीवित किया जा रहा है। यह राजनीतिक दृष्टि से नहीं किया बल्कि चीता लाकर हमने विरासत काे संजाेया है।सके लिए पूरे देश में चीताें के लिए सबसे उपयुक्त स्थान की खाेज की गई और कूनाे काे इसके लिए सबसे बेहतर पाया। ये मेहनत परिणाम के रूप में सामने आई है। कूनाे नेशनल पार्क में जब चीता फिर से दाैड़ेगा ताे यहां का ग्रास लैंड इकाे सिस्टम फिर से रिस्टाेर हाेगा।
पीएम का आग्रह-कुछ माह करें इंतजारः पीएम माेदी ने कहा कि चीते मेहमान बनकर आए हैं, इसलिए इनकाे कुछ समय देना पड़ेगा। ऐसे में आपसे आग्रह है कि चीताें काे देखने के लिए आपकाे कुछ माह का इंतजार करना पड़ेगा और कुछ धैर्य रखना हाेगा। पीएम ने कहा कि खुद के फायदे के लिए जीना ठीक नहीं है, बल्कि पराेपकार के लिए जियें।
हमारे आसपास छाेटे से छाेटे जीव की चिंता करना हमें सिखाया जाता है, किसी जीव जंतु का अस्तित्व हमारी वजह से मिट जाए ताे यह कितना दुखद है। हमारी युवा पीढ़ी काे पता ही नहीं है कि चीता हमारे यहां कई साल पहले विलुप्त हाे चुका है। चीते के जरिए हमारे जंगल का एक बड़ा शून्य भर रहा है। भारत में अब बच्चों को चीता अपने ही देश में देखने काे मिलेगा। नामीबिया के चीते अब कूनाे में टहलने लगे हैं।