इंदौर. देश के साथ ही विदेशों तक में प्रसिद्ध इंदौर के नमकीन पर कोरोनावायरस का बुरा असर पड़ा है। लॉकडाउन और कर्फ्यू के चलते शहर के नमकीन उद्योग को 400 करोड़ रुपए से अधिक का झटका लगा है। परेशान मीठाई और नमकीन निर्माताआें ने प्रशासन से कहा है कि यदि अनुमति मिले तो वे दुकान खोले बगैर होम डिलीवरी की सेवा प्रारंभ कर सकते है।
कोरोनावायरस के संक्रमण को रोकने के लिए पिछले लगभग 44 दिनों से लागू लॉकडाउन ने इंदौर के नमकीन उद्योग को जोरदार चपत लगाई है। अब तक इस उद्योग को लगभग 400 करोड़ रुपए की चपत लग चुकी है। शहर और आसपास नमकील उत्पादन के 2000 छोटे-बड़े कारखाने है जहां 125 टन प्रतिदिन का उत्पादन किया जाता है। नमकीन के प्रत्यक्ष उत्पादन से 20 हजार लोग जुड़े है। वहीं अप्रत्यक्ष रूप से करीब एक लाख परिवार जुड़ेे हैं। ये सिर्फ नमकीन व्यापारी नहीं, बल्कि कारीगर, मजदूर, सेल्समैन, मार्केटिंग स्टाफ, लोडिंग,परिवहन, फुटकर विक्रेता,ग्रामीण खेरची दुकानदार, दाल, बेसन, तेल, मसाले वाले, पैकिंग इंडस्ट्री वाले,चक्की वाले जैसी लंबी श्रृखंला है।
नमकीन के लिए हो राहत पैकेज की घोषणा
मप्र नमकीन मिठाई एसोसिएशन के पदाधिकारियों का कहना है कि तालाबंदी देश के लिए अनिवार्य थी, इसमें कोई दो राय नहीं, लेकिन सरकार को एकाध हफ्ते बाद कम से कम खाद्य उद्योग के बारे में कुछ ऐसी व्यवस्था करना थी, जिससे तैयार माल की खपत कर दी जाती। अब नमकीन जैसे उद्योग को उबारने के लिए किसी पैकेज की घोषणा की जाना चाहिये। साथ ही नमकीन के सीमित कारोबार की अनुमति तो दी ही जाना चाहिए।
प्रशासन ने कहा-होम डिलीवरी पर करेंगे विचार
राशन के साथ ही सब्जियों की होम डिलीवरी प्रशासन द्वारा की जा रही है। इसे देखते हुए मिठाई और नमकीन को व्यापारी एसोसिएशन ने कलेक्टर से चर्चा की है। इसमें उन्होंने मांग रखी है कि कुछ व्यापारियों को होम डिलीवरी को लेकर अनुमति प्रदान की जाए। इसे लेकर प्रशासन के अफसरों ने विचार करने की बात कही है। इंदौर नमकीन मिठाई व्यापारी एसोसिएशन के अध्यक्ष विकास जैन ने बताया पिछले दिनों एसोसिएशन के पदाधिकारियाें ने दुकान न खोलते हुए होम डिलीवरी शुरू किए जाने को लेकर चर्चा की थी। इसके बाद पदाधिकारियों ने कलेक्टर से चर्चा कर मांग रखी कि प्रशासन अगर हमें होम डिलीवरी की अनुमति देता है तो हम काम शुरू कर सकते हैं। वहीं जिन नमकीन और मिठाई निर्माताओं के कारखाने शहरी सीमा से बाहर हैं, उन्हें भी सशर्त अनुमति दिए जाने की बात कही जा रही है।
- जिस मालवा की पहचान कभी डग-डग रोटी, पग-पग नीर हुआ करता था, वह अब नमकीन से पहचाना जाता है। इंदौर के साथ रतलाम और उज्जैन भी नमकीन के लिये प्रतिष्ठा प्राप्त हैं।
- एमएसएमई की एक रिपोर्ट के अनुसार इस क्षेत्र में रोजाना लगभग 100 से 125 टन नमकीन बनता है। इसमें से प्रतिदिन करीब 25 टन माल की खपत इंदौर में होती है, शेष देश भर के बाजार में पहुंचता है। इंदौरी नमकीन औसत डेढ़ सौ रुपए किलो होता है।
- इंदौर से मुख्य रूप से लंदन, अमेरीका, श्रीलंका, बांग्लादेश, दुबई, कतर, पाकिस्तान, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया सहित अन्य अरब देशों में नमकीन का निर्यात किया जाता है।
- इंदौर से बाहर कोई भी घूमने या रिश्तेदारी में जाने वाला नमकीन जरूर साथ ले जाता है तो इंदौर आने पर मेहमान को नमकीन जरूर भेंट किया जाता है। जो इंदौरी विदेश में बसे हैं , वे यहां आने पर साल,छह महीने का नमकीन साथ ले जाते हैं।
- तालाबंदी लागू होने से औसत सात दिन का स्टॉक दुकानों, कारखानों पर ही रखा रह गया। ताजा स्थिति के अनुसार यदि 17-18 मई को भी तालाबंदी खुल जाए तब भी तेल, दालें, बेसन,मसाले आदि दो माह तक पड़े रहने के कारण कम ही काम आ पाएंगे।
- शासन-प्रशासन ने तैयार नमकीन की बिक्री के लिये सवा महीना बित जाने के बावजूद कोई दिशा-निर्देश जारी नहीं किए, जिससे रखा माल तो खराब ही होना है।
- प्रशासन को चाहिये कि किराना, सब्जी, ,दूध वितरण के साथ नमकीन वितरण भी प्रारंभ करे। सीधे नमकीन कारोबारियों को व्यापार की छूट भले न दें, लेकिन किराना चेन से इसे जोड़ सकते हैं। इससे थोड़ा बहुत तैयार नमकीन भी खप जाएगा, जिसकी मियाद दो माह की होती है और कच्चे माल का उपयोग भी हो सकेगा। इसे प्रारंभ करने से थोड़ा बहुत रोजगार भी चालू हो सकेगा और कारोबारी को अपना अस्तित्व बनाए रखने में मदद मिलेगी।