मां नहीं हैं, पिता एक्सीडेंट के कारण चल नहीं पाते, 3 बच्चे तपती धूप में 5 किमी नंगे पैर पैदल चलकर राशन लेने जाते हैं

Posted By: Himmat Jaithwar
5/7/2020

इंदौर. कोरोना महामारी से निपटने के लिए लॉकडाउन जरूरी है, लेकिन इसके कारण कई लोगों को खासी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। सबसे ज्यादा परेशानियां श्रमिक परिवार झेल रहे हैं। किसी के सामने खाने-पीने के लाले पड़े हैं, काेई अपने परिवार से जुदा हाेकर रह रहा है। उनकी व्यथा सुनने वाला काेई नहीं मिल रहा है। ऐसे ही तीन कहानियां हैं... जो बता रही हैं लॉकडाउन में श्रमिक परिवारों का दर्द।

समाजसेवी द्वारा नई चप्पल दिलवाने के बाद बच्चों के चेहरे खिल उठे।

1) नंगे पांव को चप्पल मिली तो बच्चे बोले- जीवन में पहली बार एक नहीं, दो जोड़ चप्पल पहनेंगे
नंगे पैर तपती धूप में चलने वाले ये तीन बच्चे देपालपुर के हैं। इन्हें राशन लेने के लिए तपती धूप में नंगे पैर 5 किलोमीटर का सफर तय करना पड़ता है। बच्चे यहां युवा नेता चिंटू वर्मा के पेट्रोल पंप पर राशन लेने आए थे। वर्मा ने उन्हें देखा और अपनी कार से राशन समेत घर तक पहुंचवाया। पता चला कि इनकी मां की मौत हो चुकी है। एक्सीडेंट के कारण पिता चल नहीं पाते, ऐसे में बच्चे ही घर का जिम्मा संभाले हुए हैं। लाॅकडाउन में रुकी हुई रफ्तार को यही बच्चे गति देने में लगे हुए हैं। घर में राशन खत्म हुआ तो ये तपती धूप में ही राशन लेने निकल पड़े। इसकी जानकारी समाजसेवी राजेंद्र चौधरी को लगी तो उन्होंने एक दुकान खुलवाकर मासूमों के लिए 10 जोड़ी चप्पल भिजवा दी। बच्चों का कहना है कि वे जीवन में पहली बार एक नहीं, 2-2 जोड़ चप्पल पहनेंगे। उनकी छोटी-सी उम्र मे मिली बड़ी जिम्मेदारी ने तपती धूप को भी मात दे दी है। बच्चों का वीडियो और फोटो अब सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है।

बायपास पर कुछ लोगों ने रोककर महिला को पानी पिलाया और थोड़ा आराम करने को कहा।

2) तपती धूप में मां का सफर, एक हाथ में मासूम और दूसरे हाथ में बैग
लॉकडाउन के दर्द की तीसरी तस्वीर भी दर्दनाक है। काम धंधा बंद होने पर एक मां अपने बच्चे को लेकर पैदल ही तपती धूप में अपने गंतव्य की ओर निकल पड़ी। बायपास से गुजर रही एक मजबूर मां ने बताया कि सूरत में फैक्ट्रियां बंद होने से काम धंधा बंद हो गया। ऐसे में खाने-पीने की समस्या सामने खड़ी हो गई। वहां भूखे मरने से अच्छा परिवार ने तय किया कि पैदल ही अपने गांव को जाएंगे। इसके बाद परिवार के 14 सदस्यों के साथ सूरत से इलाहाबाद के लिए पैदल ही निकल पड़ी। तपती धूप में अपने मासूम बच्चे को गोद में लिए यह मां तेजी से अपने गंतव्य की ओर बढ़ रही थी। एक हाथ से उसने मासूम को संभाल रखा था, जबकि दूसरे हाथ से बैग को धकेल रही थी। वीडियो सामने आने के बाद नगर निगम कर्मचारियों ने इन्हें खोजा और भोजन के पैकेट दिए। इतना ही नहीं उन्हें भोपाल की ओर जा रहे ट्रक में भी बिठाया।

यह श्रमिक परिवार गुजरात से इंदौर आया है। इनकी तीन नाबालिग बेटियां गुजरात में हैं।

3) आधा परिवार गुजरात में, आधा परिवार इंदौर में फंसा, मां का रोकर बुरा हाल
क्षेत्र के रलायता गांव के इस श्रमिक परिवार में सात सदस्य हैं। पिता अंबाराम मालवीय, माता सुमित्रा बाई, बेटी ज्याेत्सना (17), दुर्गा (15), मोनिका (13), मेघा (12) और सबसे छोटा बेटा चंदन (10 साल) 2 साल पहले मजदूरी के लिए गुजरात के अमरेली जिले के साजियावदर गांव में गए थे। लॉकडाउन के पहले परिवार के सबसे छोटा सदस्य चंदन बीमार हो गया। उसके इलाज के लिए माता-पिता और सबसे छोटी बेटी मेघा इंदौर के एमवाय अस्पताल इलाज कराने आए। यहां उपचार के दाैरान चंदन काे कुछ दिन भर्ती रखा गया। इसी बीच लॉकडाउन लग गया। ऐसे में माता-पिता और दोनों बच्चे वापस गुजरात नहीं पहुंच पा रहे हैं। वहां तीन नाबालिग बेटियां हैं। वे एक-दूसरे से मिलने को तरस रहे हैं। माता-पिता की सबसे बड़ी चिंता यह है कि उनकी तीनों बेटियां दूर दिन-रात आंसू बहा रही हैं। तीनों बेटियों को गुजरात से लाने के लिए सभी अधिकारी को अवगत कराया गया है। अन्य प्रयास भी किए जा रहे हैं ताकि परिवार के सभी सदस्य एक स्थान पर मिल जाएं।

गुजरात में फंसी बेटियां अपने माता-पिता के आने का इंतजार कर रहे हैं।



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