रतलाम ।(हिम्मत जैथवार तेज़ इंडिया टीवी) यह पहली मर्तबा नहीं हुआ है। जब जिम्मेदार किसी बड़े हादसे के बाद ही व्यवस्थाओं को चाक चौबंद करने सड़कों पर उतरे हैं। जब जब कोई बड़ा हादसा जिले में होता है, तो सोया हुआ प्रशासन जाग जाता है और फिर कड़ी कार्यवाही का फरमान जारी कर देता है, लेकिन शायद यह फरमान उस हादसे को शांत करने के लिए होता है। और फिर यह कार्यवाही चार दिन में खत्म हो जाती है, हालांकि प्रशासन के ऐसे आदेश से कई अधिकारियों की जेब जरूर गर्म हो जाती है। जिले में चल रहे नियमो के विरुद्ध कार्यो पर अपने उच्च अधिकारियों द्वारा दिए गए कार्यवाही के आदेश का हवाला देकर गुलाबी कागजो का वजन और बढ़वा लिया जाता है।
पिछले कई हादसों में प्रशासन ने कई बार कड़ी कार्यवाही के आदेश दिए, लेकिन वह आदेश चार दिनों में ही हवा हो गए। फिर चाहे वह आदेश, जिले में नियमो के विरुद्ध चल रही बसों पर कार्यवाही के हो या सटोरियों पर कार्यवाही या जिले में अवैध शराब की तस्करी का मामला हो इन सभी पर कार्यवाही के आदेश उगाही का जरिया बन जाते है।
विगत दिनों जहरीले शराब पीने से हुई कई लोगो की मौत के बाद पुलिस प्रशासन हरकत में आया और जिला कलेक्टर ने अवैध शराब माफियाओं पर कार्यवाही के आदेश दे दिए लेकिन इस आदेशो का पालन केवल चार दिन ही होगा और फिर वही चार दिन की चाँदनी वाली कहावत चरितार्थ हो जाएगी।
अवैध काम होने पर जिम्मेदारों पर हो कार्यवाही
वैसे तो प्रशासन के बाशिन्दे जिले के कोने - कोने में फैले हुए हैं और जिले में होने वाली हर गतिविधियों की जानकारी भी उन्हें होती है, लेकिन इन सभी अवैध कामों से वे इस तरह अंजान होते है कि उन्हें कुछ पता ही ना हो कई मामलों में तो फरियादी जिम्मेदारो के पास शिकायत करने भी पहुँचते हैं, लेकिन उसके गेट से बाहर निकलने से पहले ही इसकी सूचना अवैध काम करने वाले तक पहुंच जाती है । अगर जिले में अवैध काम होने पर जिम्मेदारों पर कार्यवाही होने लग जाएं तो किसी की मजाल नहीं की कोई गलत काम करके दिखा सके ।
अवैध शराब में जिम्मेदारों की भी हिस्सेदारी
जहरीली शराब से हुई मौंतो के बाद पुलिस प्रशासन हरकत में आया और ताबड़तोड़ कार्यवाही करते हुए छोटे-मोटे तस्करों को गिरफ्तार कर वहां वही लूट ली, लेकिन जिले में लॉकडाउन के दौरान बड़े पैमाने पर अवैध शराब तस्करी का कारोबार फल फूल रहा है, लेकिन जिले का आबकारी विभाग गहली नींद में सोया है। जिले में हो रही अवैध शराब तस्करी के मामले में आबकारी विभाग की चुप्पी शायद यही दर्शाती है कि इस अवैध काम मे इस विभाग के कई जिम्मेदारों की हिस्सेदारी भी होगी।