देश का पहला मामला असम में, 2500 सुअरों की मौत; राज्य सरकार का दावा- इस वायरस का इंसानों पर कोई असर नहीं

Posted By: Himmat Jaithwar
5/4/2020

गुवाहाटी. देश में अफ्रीकन स्वाइन फ्लू का पहला मामला असम में सामने आया है। राज्य सरकार का दावा है कि वहां के सात जिलों के 306 गांवों में रविवार तक 2,500 सुअरों की मौत हो गई। असम के पशुपालन मंत्री अतुल बोरा का कहना है कि केंद्र सरकार की मंजूरी के बावजूद सुअरों को मारने का कदम तुरंत नहीं उठाएंगे। बल्कि इस संक्रामक बीमारी को फैलने से रोकने के लिए दूसरा तरीका ढूंढेंगे। उनका कहना है कि अफ्रीकन स्वाइन फ्लू का कोरोना से कोई संबंध नहीं है। इंसानों पर इसका असर नहीं होता।

जो सूअर संक्रमित नहीं उन्हें बचाने पर फोकस
बोरा ने बताया कि 2019 के आंकड़ों के मुताबिक राज्य में सुअरों की संख्या 21 लाख थी, जो अब बढ़कर 30 लाख हो चुकी है। हमने एक्सपर्ट से बात की है कि अफ्रीकन स्वाइन फ्लू से सुअरों को कैसे बचाया जाए? जो सुअर संक्रमित नहीं हैं, उन्हें बचाने के लिए स्ट्रैटजी बनाई है। संक्रमण वाले इलाकों के एक किलोमीटर के दायरे में सैंपल लिए जाएंगे। जो सुअर संक्रमित होंगे, उन्हें ही मारा जाएगा। हर रोज अपडेट लिया जाएगा और स्थिति को देखकर आगे के लिए फैसला लेंगे।


सूअर के मांस, लार, खून और टिश्यू से फैलता है संक्रमण
बोरा के मुताबिक गुवाहाटी की तीन लैब्स में टेस्टिंग की जाएगी लेकिन, यह काफी नहीं होगा। इसलिए, अधिकारियों को स्वास्थ्य विभाग से संपर्क करने के लिए कहा है। वायरस का संक्रमण सुअर के मांस, लार, खून और टिश्यू से फैलता है। इसलिए, एक से दूसरे जिले में सूअरों का ट्रांसपोर्टेशन नहीं किया जाएगा। राज्य से सूअरों की आवाजाही रोकने के लिए कदम उठाए जाएंगे। पड़ोसी राज्यों से भी अपील की है कि सुअरों का मूवमेंट रोकने के इंतजाम करें।


इंसानों को नुकसान नहीं, उनके जरिए संक्रमण फैल सकता है
अफ्रीकन स्वाइन फ्लू पिछले साल अप्रैल में चीन के शिजांग से शुरू हुआ था। शिजांग की सीमा अरुणाचल प्रदेश से लगती है। यह आशंका है कि अफ्रीकन स्वाइन फ्लू का वायरस पहले अरुणाचल प्रदेश पहुंचा और फिर असम में आ गया। ज्यादातर आवारा सुअर संक्रमित पाए गए हैं, लेकिन फार्मों वाले सुअरों में भी इन्फेक्शन मिला है। एक किसान के 230 सुअर मर गए। इससे पहले उसके कर्मचारी का सुअर मर गया था। इसलिए आशंका है कि उस कर्मचारी के जरिए वायरस फार्म तक पहुंचा। ऐसा कुछ दूसरे फार्मों में भी देखा गया। यानी यह वायरस इंसानों के जरिए भी फैल रहा है। हालांकि, इंसानों को इससे कोई नुकसान नहीं होता।



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