भोपाल। भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष, सांसद श्री विष्णुदत्त शर्मा ने पूर्व मुख्यमंत्री श्री कमलनाथ से प्रश्न किया है कि ऐसी कौन सी मजबूरी थी कि वे सरकार बनने के पहले दिन से श्री दिग्विजय सिंह को बर्दाश्त करते रहे और अंततः सरकार गिराने का खामियाजा भुगतना पड़ा। आपने श्री दिग्विजयसिंह के दबाव में लगातार अपने ही विधायकों और मंत्रियों का अपमान क्यों किया? आपने क्यों श्री दिग्विजय सिंह के बेटे को कैबिनेट मंत्री बनाने के लिए कांग्रेस के वरिष्ठ विधायकों की राजनीति का गला घोंटा? यह जनता के सामने स्पष्ट करना चाहिए।
श्री शर्मा ने आशंका व्यक्त की कि कोई ऐसा कारण जरूर है, जिसके चलते मुख्यमंत्री के रूप में श्री कमलनाथ ने लगातार श्री दिग्विजय सिंह की नाजायज बातों को सहन किया। अगर श्री कमलनाथ समय रहते उन बातों का खुलासा करते, तो शायद तमाम विधायकों को अपनी विधायकी का बलिदान नही देना पड़ता। श्री कमलनाथ आज अपना सिर नहीं धुंन रहे होते।
कमलनाथ जी आपने भारत की राजनीति में ईमानदारी और शुचिता की परंपरा कायम रखने वाले सिंधिया परिवार के मुखिया श्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को सड़क पर उतरने की नसीहत दे डाली। आज परिणाम सबके सामने है। सिंधिया जी की ईमानदारी और पारदर्शिता में भरोसा करने वाले उनके समर्थक विधायकों ने अपनी विधायकी को दांव पर लगाया,यह कोई मामूली बात नहीं है। कोई विधायक अथवा मंत्री तभी अपने पद का त्याग करता है, जब उसे ह्रदय की गहराइयों तक चोट पहुंचाई जाती है।
श्री ज्योतिरादित्य सिंधिया जी पर लाँछन लगाने वाले कांग्रेसियों को श्री दिग्विजय सिंह को धिक्कारने की हिम्मत जुटानी चाहिए। प्रदेश की जनता को यह जानने का अधिकार है कि 18 महीने तक किसके इशारे पर प्रदेश को लूटा गया और राजनीतिक प्रतिशोध के चलते भीषण कार्यवाहियां हुई। यह अलग बात है कि कांग्रेस के मंत्री और विधायकों ने बार-बार बताया था कि शराब,रेत और खनन माफिया कौनसा पूर्व मुख्यमंत्री है। इसके बावजूद मुख्यमंत्री कमलनाथ ने उनका ही अपमान किया जो सच को सामने लेकर आए।
श्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के पूरे राजनीतिक करियर में एक भी दाग नहीं है। इसके बावजूद श्री कमलनाथ ने मुख्यमंत्री के रूप में और कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष के रुप में भी श्री सिंधिया को निरंतर अपमानित करने के जतन किए। इसे कोई भी स्वाभिमानी व्यक्ति सहन नहीं कर सकता।
आज श्री कमलनाथ का यह व्यक्तव्य कि वह श्री दिग्विजय सिंह के धोखे का शिकार हुए हैं। यह स्पष्ट करता है कि श्री कमलनाथ ने अपनी अक्षमताओं के कारण गलत व्यक्ति से प्रश्रय प्राप्त किया और सही लोगों को अपमानित किया। अगर आज श्री कमलनाथ और उनकी मंडली के भीतर नैतिकता बची हो तो श्री सिंधिया और उन सभी मंत्री-विधायकों से माफी मांगे,जो उनके अत्याचार, अनाचार और उपेक्षा से दुखी होकर अपना मंत्री पद और विधायकी कुर्बान करने पर मजबूर हुए हैं।