इंदौर. कहां तक ये मन काे अंधेरे छलेंगे, उदासी भरे दिन कभी ताे ढलेंगे...। इस गीत की लाइनें उस समय चरितार्थ हुईं, जब लाॅकडाउन-2 के चलते कैंसर पीड़ित पिता का बेटा दूल्हा बना और नई नवेली दुल्हन काे लेकर घर पहुंचा। यहां चल-फिर सकने में असमर्थ पिता और दादी मां से पैर छूकर आशीर्वाद लिया तो यह देखकर दाेनाें की आंखें खुशी से भर आईं। नगर में यह विवाह यादगार बन गया।
कोरोना महामारी के कारण देश में लॉकडाउन है। इसके चलते सारे शुभकार्य थम गए हैं। चलने-फिरने और हिलने-डुलने में अक्षम नगर के हनुमान बाजार निवासी कैंसर पीड़ित संतोष चौहान ने प्रशासन से निवेदन किया कि मेरी इच्छा है कि मैं जीते-जी मेरे बेटे आयुष की शादी देख सकूं। आयुष की 85 साल की दादी मां की भी इच्छा अपने पोते को दूल्हा बने देखना थी।
इस पर परिवार के लोगों ने दोनों की इच्छा से रुणजी निवासी दुल्हन बबली के पिता जगदीश चौहान को जानकारी दी। इस पर उन्होंने रजामंदी दे दी। परिवार के लोगों ने नायब तहसीलदार जितेंद्र वर्मा, नगर परिषद सीएमओ नागेंद्र राय कानूनगो को विवाह की अनुमति के लिए आवेदन किया। चामुंडा माता मंदिर में परिवार के पांच लोगों की उपस्थिति में पंडित विकास बैरागी ने दाेनाें का विवाह कराया। इससे पहले नगर परिषद ने मंदिर को सैनिटाइज करवाया, सभी ने मास्क पहनकर विवाह की रस्म अदायगी की।
माैके पर माैजूद नायब तहसीलदार वर्मा और सीएमओ कानूनगो ने नवदंपती काे लिफाफे के साथ मास्क और हैंड ग्लव्ज भेंट किए। मंदिर से दूल्हा-दुल्हन अपने घर गए, तो एक अद्भुत दृश्य देखने में आया। यहां पैदल चलकर आ रहे दंपती काे देखकर मोहल्लेवालों ने अपने घरों के बाहर आकर और छत-गैलरियाें में खड़े होकर थाली, घंटी, शंख बजाकर स्वागत किया। साथ ही अक्षत फूलों की वर्षा कर दंपती को आशीर्वाद दिया। दूल्हा-दुल्हन ने जब घर पहुंचकर दादी और पिता के पैर छूकर आशीर्वाद लिया, तो खुशी से उनकी आंखें भर आईं।