इंदौर. शुक्रवार रात आई रिपोर्ट में 32 नए मरीज मिले। इसे मिलाकर पॉजिटिव मरीजों की संख्या 1545 हो गई है। कुल 507 सैंपल में से 453 निगेटिव आए। दो मरीजों की मौत भी हुई, अब तक 74 लोगों की जान जा चुकी है। अब तक 8433 लोगों की रिपोर्ट मिल चुकी है। इनमें से 1242 संक्रमितों का इलाज चल रहा है। वहीं, 229 लोग ठीक होकर अपने घर जा चुके हैं। शनिवार को करीब 50 ऐसे मरीज डिस्चार्ज होंगे, जिनकी दूसरी रिपोर्ट भी निगेटिव आ चुकी है। दूसरी ओर, अलीराजपुर जिला शनिवार को कोरोना मुक्त घोषित हो जाएगा।
संभागायुक्त आकाश त्रिपाठी ने बताया कि वहां भर्ती एक मरीज की रिपोर्ट निगेटिव आई है, उसे शनिवार को डिस्चार्ज कर दिया जाएगा। इसी तरह खरगोन रेड से ऑरेंज जोन में आ गया है।
लगातार पॉजिटिव मरीजों की संख्या में आ रही कमी
सीएमएचओ डॉ. प्रवीण जड़िया ने बताया कि नवजात के टीकाकरण की प्रक्रिया को फिलहाल शुरू नहीं किया जाएगा। जन्म के समय लगने वाले आवश्यक टीकों को प्रसव के समय ही लगाने के निर्देश दिए गए हैं। बच्चों के टीकाकरण में दो माह के गैप से कोई नुकसान नहीं होता है। टीकाकरण की प्रक्रिया को यदि शुरू करते हैं तो भीड़ बढ़ेगी, जिससे सोशल डिस्टेंसिंग की समस्या आएगी। अभी जो हम टेस्ट लगा रहे हैं, उसमें से मात्र छह फीसदी पॉजिटिव आ रहे हैं, जबकि शुरुआत में यह आंकड़ा 20 से 25 प्रतिशत था। इस हिसाब से अभी हालात में काफी सुधार है।
लॉकडाउन 3.0 के लिए प्रशासन ने तीन बिंदुओं पर काम शुरू किया
शहर अब लॉकडाउन 3.0 के लिए तैयार है। इसके लिए प्रशासन ने तीन बिंदुओं सैंपलिंग, टेस्टिंग और सख्ती को फोकस कर रणनीति बनाई है, जिस पर शनिवार से ही अमल शुरू हो गया। संभागायुक्त आकाश त्रिपाठी के मुताबिक, हर दिन औसत 400 सैंपल ले रहे हैं, उन्हें बढ़ाकर 500 करेंगे। इसमें कंटेनमेंट एरिया के सामान्य लोग के सैंपल भी रहेंगे। कलेक्टर मनीष सिंह ने बताया कि अब कोरोना कंट्रोल में आ रहा है, लिहाजा शहर में बेवजह घूमने वालों की गाड़ी जब्त करेंगे, उन्हें गिरफ्तार कर खुली जेल में भेजा जाएगा। तीनों बिंदुओं पर सख्ती से काम करेंगे, ताकि शहर कोरोना फ्री हो जाए।
21 दिन की बच्ची को लैब टेक्नीशियन पिता से संक्रमण
शहर में 21 दिन की नवजात बच्ची भी कोरोना संक्रमण का शिकार हो गई। यह इतनी कम उम्र की इंदौर में और संभवत: मप्र में भी पहली मरीज है। उसे चोइथराम अस्पताल में भर्ती कराया है। उसके पिता एमवायएच के ब्लड बैंक में लैब टेक्नीशियन हैं और कुछ दिन पहले वे भी पॉजिटिव हो गए थे। इसके बाद प्रशासन ने उनकी पत्नी, नवजात और मां की जांच करवाई। इसमें बच्चे और उनकी मां में संक्रमण की पुष्टि हुई, पत्नी की तबीयत ठीक है। लैब टेक्नीशियन ने बताया कि वे ड्यूटी के दौरान दूसरे साथी से संक्रमित हुए थे। तबसे उनका एमआर टीबी अस्पताल में इलाज चल रहा है। रिपोर्ट आने के बाद उनकी मां को भी एमआरटीबी अस्पताल में भर्ती कराया, लेकिन समस्या ये है कि कोविड पीड़ित बच्चों के लिए उपचार की अलग व्यवस्था नहीं है। उनकी पत्नी चोइथराम अस्पताल लेकर पहुंची तो वहां राशि जमा करवाने को कहा। कलेक्टर तक मामला पहुंचा तो रेडक्रॉस से कुछ राशि दी गई।