गुना। जिले के वन महकमे में पदस्थ एक महिला आरक्षक ने फर्जी मार्कशीट के आधार पर नौकरी हथिया ली। साल 2019 से लेकर अब तक इस नियुक्ति के संबंध में कई जांच हो चुकी हैं और रिपोर्ट भी सामने आई हैं। बार-बार यह स्पष्ट हो चुका है कि दिल्ली बोर्ड की जिस अंकसूची को नौकरी प्राप्त करने के लिए इस्तेमाल किया गया है, वह फर्जी है। दिल्ली शिक्षा बोर्ड भी अपनी रिपोर्ट में पुष्टि कर चुका है कि वन रक्षक कृष्णा सहरिया की मार्कशीट उन्होंने जारी ही नहीं की है। उप वनमंडल अधिकारी भी अपनी जांच में दस्तावेजों के सही नहीं होने की बात स्वीकार कर चुके हैं। ऐसे अनेक तथ्य सामने आने के बावजूद अब तक वन रक्षक के खिलाफ विभाग ने कार्रवाई नहीं की है। वर्तमान स्थिति में बीनागंज एसडीओ जांच कर रहे हैं। सबकुछ स्पष्ट होने के बावजूद विभाग को कार्रवाई में इतना समय क्यों लग रहा है, यह समझ से परे है।
विस्तृत जानकारी के मुताबिक गुना के समाजसेवी सूर्यप्रकाश यादव को साल 2019 में जानकारी मिली कि गुना जिले के वन महकमे में नियुक्ति प्राप्त करने वाली कृष्णा सहरिया की 10वीं कक्षा की अंकसूची फर्जी है। उन्होंने जागरुकता का परिचय देते हुए 7 अगस्त 2019 को सबसे पहले विभागीय प्रमुख यानी गुना वन संरक्षक को पहली बार शिकायत करते हुए बताया कि किस तरह एक फर्जी अंकसूची के आधार पर उनके विभाग में फर्जीवाड़ा हुआ है। यादव को आशंका हुई कि विभाग द्वारा इस मामले को दबाया जा रहा है तो उन्होंने 29 अगस्त 2019 को प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, वन मंत्री, पुलिस अधिकारियों सहित तमाम आला अधिकारियों एवं जिम्मेदारी को प्रकरण की जानकारी दी और इस बड़े फर्जीवाड़े की ओर ध्यान आकर्षित कराया। इसके बाद निरंतर शिकायतों का सिलसिला चला तो विभाग के द्वारा स्थानीय स्तर पर जांच कराई। उप मंडल अधिकारी गुना ने 31 मार्च 2021 को एक रिपोर्ट भी विभाग को सौंपी, जिसमें स्पष्ट उल्लेख था कि कृष्णा सहरिया के दस्तावेज सही नहीं पाए गए हैं। इससे पहले एक घटनाक्रम ऐसा भी हुआ, जिससे मामला पूरी तरह साफ हो गया। दरअसल 4 मार्च 2021 दिल्ली शिक्षा विभाग बोर्ड अपनी रिपेार्ट भेज चुका है। जिसमें उन्होंने स्पष्ट से उल्लेख किया था कि कृष्णा सहरिया की मार्कशीट और सर्टिफिकेट उनके बोर्ड ने जारी नहीं किए हैं।
आरटीआई की भी अनदेखी
मामले को विभाग में किस तरह दबाने का प्रयास किया जा रहा है। इसकी एक बानगी इस बात से समझिए कि समाजसेवी सूर्यप्रकाश यादव और राकेश कुशवाह ने वन मंडल अधिकारी कार्यालय से सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत कृष्णा सहरिया के दस्तावेज मांगे थे। लेकिन प्रथम और द्वितीय अपील में भी दस्तावेज नहीं दिए गए। इसके बाद आवेदक सूर्यप्रकाश यादव ने स्थानीय स्तर से लेकर दिल्ली में बैठे जिम्मेदारों को आवेदन दिए। तब जाकर वन विभाग हरकत में आया और जांच शुरु की गई।
कारगुजारी छुपाने का प्रयास कर रहे वन विभाग के अधिकारी और फर्जीवाड़ा करने वाली महिला वन रक्षक के हौंसले बुलंद हैं। शिकायतकर्ता सूर्यप्रकाश यादव का आरोप है कि उन्हें फर्जीवाड़े का प्रकरण उजागर करने की वजह से कई बार धमकियां मिली हैं। इतना ही नहीं यादव को विधिक सलाह देने वाले अधिवक्ता जगवीर जरसोनिया को छेड़छाड़ के मामलों में फंसाने का प्रयास किया गया।
क्या कहते हैं जिला वनमंडल अधिकारी मयंक चांदीवाल
इस मामले की और अधिक गहराई में पड़ताल करते हुए गुना मंडल अधिकारी मयंक चांदीवाल से चर्चा की। उन्होंने माना कि दिल्ली बोर्ड ने कृष्णा सहरिया की मार्कशीट सत्यापित नहीं हुई है। इसके बाद उन्होंने कहां अभी विभागीय जांच चल रही है अब बीनागंज एसडीओ जांच कर रहे हैं। लेकिन जांच रिपोर्ट आने में समय लगने की बात भी चांदीवाल कह रहे हैं। जनवरी 2022 से शुरु हुई जांच अब तक कहां तक बढ़ी, इसको लेकर भी विभागीय अधिकारी स्पष्ट रूप से जानकारी नहीं दे रहे हैं। जाहिर है इतने स्पष्ट और सीधे प्रकरण को किस तरह उलझाया जा रहा है, यह बताने की आवश्यकता नहीं है।