भोपाल । मध्यप्रदेश में सियासी तूफान आया है, बीजेपी और कांग्रेस में खलबली मची है। सियासी हंगामे के बीच एक व्यक्ति शांत और इस विवाद से दूर है, जिसकी चर्चा भी मध्यप्रदेश की सियासत में खूब है। प्रदेश में कांग्रेस की सरकार पर संकट है, सीएम समेत पार्टी के सभी नेता सरकार बचाने के लिए एकजुट हैं। कांग्रेस के कद्दावर नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया इस प्रकरण में बिल्कुल शांत और अलग हैं। ऐसे में कई सवाल भी खड़े हो रहे हैं कि आखिर सिंधिया साइलेंट क्यों हैं।
सियासी घमासान में ज्योतिरादित्य सिंधिया की भूमिका क्या है, प्रदेश की राजनीति में समझना बड़ा ही मुश्किल है। विवाद की शुरुआत के बाद अभी तक ज्योतिरादित्य सिंधिया का एक बयान आया है, जिसमें उन्होंने कहा था कि बीजेपी की यह पुरानी आदत है। उसके बाद से वह चुप हैं। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि क्या ऐसे दौर में भी कांग्रेस में गुटबाजी हावी है।
शांत और अलग
ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थक उन्हें राज्यसभा भेजने की मांग कर रहे हैं और प्रदेश अध्यक्ष बनाने की भी। इसे लेकर अपनी सरकार के खिलाफ सिंधिया हल्ला भी बोलते रहे हैं। लेकिन पार्टी की तरफ से उनके समर्थकों की मांग पर कभी कोई प्रतिक्रिया नहीं आई। इस वजह से मध्यप्रदेश में कमलनाथ, दिग्विजय सिंह और ज्योतिरादित्य सिंधिया में कभी समन्वय स्थापित नहीं हुआ। इस प्रकरण से भी उन्होंने खुद को दूर रखा है। उनके खेमे के लोग भी बहुत सक्रिय नहीं है।
नहीं हो रही अनदेखी
सिंधिया की नाराजगी और अनदेखी की खबरों पर कमलनाथ सरकार के वरिष्ठ मंत्री पीसी शर्मा ने कहा कि पार्टी में ज्योतिरादित्य सिंधिया की कोई अनदेखी नहीं हो रही है। वह हमारे साथ हैं। इस बीच खबर यह भी है कि सिंधिया समर्थक मंत्रियों की दिल्ली में बैठक भी हुई है। वहीं, कांग्रेस के अंदर से भी कोई नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया की भूमिका को लेकर कुछ नहीं बोल रहा है।
मंत्री का हमला
तमाम कयासों के बीच शुक्रवार को ज्योतिरादित्य सिंधिया खेमे के मंत्री महेंद्र सिंह सिसोदिया ने सरकार पर बड़ा हमला किया था। उन्होंने कहा था कि कमलनाथ जी की सरकार को संकट तब होगा जब हमारे नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया जी की उपेक्षा या अनादर सरकार करेगी। तब निश्चित तौर से सरकार पर जो काला बादल छाएगा वो क्या कर के जाएगा मैं ये कह नहीं सकता।
सिंधिया खेमे के तीन विधायक
वहीं, इस प्रकरण में सिंधिया कथित रूप से संदेह के घेरे में भी हैं। हॉर्स ट्रेडिंग के खेल में चंबल अंचल के करीब पांच विधायक शामिल थे। इन पांच विधायकों में तीन विधायक रघुराज सिंह कंसाना, कमलेश जाटव और रणवीर जाटव, ज्योतिरादित्य सिंधिया के कट्टर समर्थक माने जाते हैं। ऐसे में सवाल है कि क्या अपने लोगों पर भी ज्योतिरादित्य सिंधिया की पकड़ ढिली हो रही है या फिर अपने आका की अनदेखी की वजह से उनके गुट के विधायक इस तरफ के फैसले लेने पर मजबूर हो गएं।
हार के बाद से जारी है कलह
कांग्रेस में कलह ज्योतिरादित्य सिंधिया की हार के बाद ही शुरू हो गई थी। गुना-शिवपुरी से हार के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया कुछ दिन तक तो मौन रहे। कुछ महीने बाद वह मध्यप्रदेश में एक्टिव हो गए। सिंधिया के एक्टिव होते ही उनके लोग उन्हें प्रदेश अध्यक्ष बनाने की मांग करने लगे। सिंधिया को पॉवर कॉरिडोर में जगह नहीं मिली लेकिन वह लगातार इसके लिए संघर्ष कर रहे हैं। इस मांग के बाद से ही कांग्रेस में कलह है, सिंधिया प्रदेश में हुए उपचुनाव से भी खुद को अलग रखा।