भोपाल। मध्य प्रदेश के शिवपुरी जिले की कोलारस तहसील में प्रशासन की लापरवाही के कारण स्थिति तनावपूर्ण बन गई है। इंदौर से लौटे एक स्टूडेंट की होम क्वॉरेंटाइन के दौरान संदिग्ध मौत हो गई। अब अफवाहों का बाजार गर्म है। पुलिस छात्र की संदिग्ध मौत को आत्महत्या मानकर चल रही है और प्रशासन छात्र के परिवार को जिम्मेदार बता रहा है। जबकि प्रशासन की लापरवाही स्पष्ट रूप से नजर आ रही है।
मामला क्या है
शिवपुरी जिले के शहर कोलारस में स्थित रमतला मोहल्ले में रहने वाले नरेश जाटव उम्र 20 वर्ष पुत्र काशीराम जाटव की संदिग्ध अवस्था मौत हो गई। नरेश इंदौर मे रहकर पढाई कर रहा था। 4 अप्रैल को वह इंदौर से वापस कोलारस आया था। प्रशासन ने उसे होम क्वॉरेंटाइन किया था। छात्र की संदिग्ध अवस्था में मौत के बाद जब परिवार जन उसके अंतिम संस्कार की तैयारी कर रहे थे तभी आस-पड़ोस के नागरिक सक्रिय हो गए और मामले की जांच शुरू हुई। पुलिस ने शव को अपने कब्जे में ले लिया है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट का इंतजार किया जा रहा है।
प्रशासन की लापरवाही क्या है
प्रशासन ने 4 अप्रैल को नरेश जाटव को 14 दिन के लिए होम क्वॉरेंटाइन किया था। प्रशासन की जिम्मेदारी है कि वह 1 दिन के अंतराल पर नरेश जाटव के स्वास्थ्य की जांच करता रहे। कम से कम उसके शरीर का तापमान तो रिकॉर्ड किया ही जाना था परंतु प्रशासन ने ऐसा कुछ नहीं किया। यदि प्रशासन अपना दायित्व निभाते तो यह मौत संदिग्ध नहीं होती। स्थिति स्पष्ट होती।
प्रशासन की दूसरी लापरवाही यह है कि संदिग्ध मृत्यु की स्थिति में प्रशासन कोलारस के नागरिकों को यह विश्वास दिलाने में असफल साबित हो रहा है कि पोस्टमार्टम के दौरान मृत्यु के जो भी कारण प्राप्त होंगे वह सार्वजनिक किए जाएंगे। लोगों में दहशत व्याप्त है, तरह-तरह की अफवाहें उड़ रही है। यहां तक कहा जा रहा है कि छात्र का अंतिम संस्कार प्रशासन की मर्जी से बिना पोस्टमार्टम के करवाया जा रहा था ताकि कोलारस के माथे पर कोरोना का दाग ना लगे। प्रशासन नागरिकों में अपना विश्वास कायम रख पाने में असफल साबित हो रहा है।