पंचायत चुनाव का मामला फिर सुप्रीम कोर्ट में पहुचा

Posted By: Himmat Jaithwar
12/16/2021

भोपाल। मध्य प्रदेश पंचायत चुनाव का मामला गुरुवार को फिर सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया। इस पर शुक्रवार को सुनवाई होगी। दरअसल, मामले में बुधवार शाम को नया मोड़ आ गया था। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर जबलपुर हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ताओं की अर्जेंट हियरिंग से इनकार कर दिया था। हाईकोर्ट ने 3 जनवरी 2022 की तारीख मुकर्रर कर दी थी। इस पर याचिकाकर्ता पुन: सुप्रीम कोर्ट चले गए। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को 17 दिसंबर को राज्य सरकार के साथ अपना पक्ष रखने का आदेश दिया है।

जबलपुर हाईकोर्ट के तुरंत सुनवाई से इनकार के बाद याचिकाकर्ताओं की ओर से सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस के सामने आवेदन पेश किया गया। वरिष्ठ अधिवक्ता विवेक तन्खा ने उनका पक्ष रखा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस मामले में 17 दिसंबर को राज्य सरकार का पक्ष भी सुनेंगे। दोनों पक्षों को सुनने के बाद मामले में कोई आदेश जारी होगा।

इन मामलों को लेकर लगी हैं याचिकाएं

पंचायत चुनाव को लेकर अलग-अलग याचिकाएं दायर की गई हैं। पहले ग्वालियर खंडपीठ में सुनवाई हुई। वहां से प्रकरण मुख्य खंडपीठ जबलपुर भेज गया। जबलपुर में नौ दिसंबर को एक साथ सभी याचिकाओं पर सुनवाई हुई। हाईकोर्ट ने पंचायत चुनाव पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। तब याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता विवेक तन्खा प्रकरण सुप्रीम कोर्ट में ले गए।

सुप्रीम कोर्ट में 15 दिसंबर को सुनवाई हुई और सभी याचिकाकर्ताओं को जबलपुर मुख्य पीठ में प्रकरण रखने के आदेश जारी हुए। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर 16 दिसंबर को याचिकाकर्ता जबलपुर हाईकोर्ट पहुंचे और प्रकरण में अविलंब सुनवाई की मांग की। हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रवि मलिमठ और जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की खंडपीठ ने अर्जेंट हियरिंग से इनकार करते हुए 3 जनवरी की नई तारीख तय कर दी थी।

पंचायत चुनाव की वैधानिकता को दी है चुनौती
भोपाल के मनमोहन नायर और गाडरवाडा के संदीप पटेल सहित पांच अन्य याचिकाकर्ताओं ने तीन चरणों में होने वाले त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की वैधानिकता को चुनौती दी है। याचिका में कहा गया है राज्य सरकार ने 2014 के आरक्षण रोस्टर से चुनाव करवाने के संबंध में अध्यादेश पारित किया है, जो असंवैधानिक है। 2019 में राज्य सरकार ने अध्यादेश के माध्यम से नए सिरे से आरक्षण लागू किया था। बिना इस अध्यादेश को समाप्त किए, दूसरा अध्यादेश लाकर 2022 का पंचायत चुनाव 2014 के आरक्षण के आधार पर कराने का निर्णय ले लिया।



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