परिसीमन और आरक्षण निरस्त को लेकर कोर्ट पहुंचा मामला, सरकार को देना है एक महीने में जवाब
भोपाल। मध्य प्रदेश में पंचायत चुनाव की तैयारियां तेज हो गई है। प्रदेश की 52 जिला पंचायत के अध्यक्ष पद के लिए आरक्षण 14 दिसंबर को होगा। इस संबंध में पंचायत राज संचालनालय ने कलेक्टरों को गुरूवार को निर्देश जारी कर दिए हैं। जिसमें कहा गया है कि अनुसूचित जाति, जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग और सभी वर्गों में महिलाओं के लिए आरक्षण लॉटरी निकाल कर होगा। आरक्षण की संपूर्ण कार्यवाही जल एवं भूमि प्रबंध संस्थान (वाल्मी) कलियासोत डेम के पास भोपाल में शुरू होगी। पंचायत विभाग ने सभी कलेक्टरों से कहा है कि आरक्षण की कार्यवाही की सूचना जिला और पंचायत कार्यालयों में चस्पा करें।
बता दें कि शिवराज सरकार ने कमलनाथ सरकार का एक और फैसला पलट दिया है। पंचायत चुनाव की तैयारियों के बीच सरकार ने ऐसी पंचायतों के परिसीमन को निरस्त कर दिया था, जहां बीते एक साल से चुनाव नहीं हुए हैं। ऐसी सभी जिला, जनपद या ग्राम पंचायतों में पुरानी व्यवस्था ही लागू रहेगी। जो पद, जिस वर्ग के लिए आरक्षित है, वही रहेगा। इसके लिए सरकार ने मध्य प्रदेश पंचायत राज एवं ग्राम स्वराज (संशोधन) अध्यादेश-2021 लागू कर दिया है। इसकी अधिसूचना भी जारी की गई थी।
कोर्ट पहुंचा मामला, सरकार को देना है एक महीने में जवाब
पंचायत चुनाव का मामला अब ग्वालियर हाईकोर्ट की बेंच में पहुंच चुका है। पंचायत अधिनियम में किए गए संशोधन को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है, जिसमें बताया गया है कि यह संशोधन संविधान की धारा 243 से कवर्ड नहीं है। इस याचिक को पूर्व अतिरिक्त महाधिवक्ता राजीव शर्मा द्वारा दायर किया गया है। 21 नवंबर को मध्य प्रदेश पंचायत राज और ग्राम स्वराज्य संशोधन अध्यादेश पारित किया गया है। अध्यादेश के माध्यम से पंचायत एक्ट में सेक्शन 9 अ को जोड़ा गया है, जिसे याचिका में नियम विरुद्ध बताया गया है।
वही इसी मामले से जुड़ी हुई एक और याचिका दायर हुई है। यहां कल्लू राम सोनी नाम के व्यक्ति ने अध्यादेश को चुनौती दी है। इसमें उन्होंने रोटेशन प्रणाली लागू करने की मांग उठाई है, क्योंकि सरकार ने पुरानी व्यवस्था पर चुनाव कराने की मंशा जाहिर की है। ऐसे में इस याचिका को दायर करते हुए आज हुई सुनवाई में 4 सप्ताह में सरकार से जवाब मांगा है।