अब सड़क पर भी नहीं आते पड़ोसी, बच्चे कमरों में कैद दूध-सब्जी लेने के लिए भी पुलिस के रजिस्टर में एंट्री जरूरी

Posted By: Himmat Jaithwar
4/25/2020

भोपाल. ये है कमला नगर, कोरोना का हॉट स्पॉट... यहां 22 कोरोना पॉजिटिव हैं। 261 से ज्यादा लोगों को होम क्वारेंटाइन किया है और 41 लोगों को सरकारी क्वारेंटाइन सेंटर भेजा है। पॉजिटिव मरीजों की कॉन्टेक्ट हिस्ट्री के आधार पर सैंपल लेने का काम जारी है। संक्रमण की चेन किस छाेर तक फैली है, ये सरकारी सिस्टम को भी मालूम नहीं है। जहांगीराबाद और टीटी नगर के बाद भोपाल का सबसे बड़ा संक्रमित क्षेत्र यही है। नेहरू नगर पुलिस लाइन भी इसी क्षेत्र में है।

पुलिसकर्मियों में संक्रमण के बढ़ते मामलों के बाद पुलिस क्वार्टर्स में रहने वाले पुलिसकर्मियों के घर आने पर रोक लगा दी है। जो जिस थाने में तैनात हैं, वहीं उनके रहने की व्यवस्था की है। यहां अकेले रहने वाले पुलिसकर्मी को ही आने दिया जा रहा है। उन्हें भी बैरियर पर रजिस्टर में एंट्री करने पर प्रवेश मिलता है। जिनके पड़ोस में पॉजिटिव हैं, वे अब सड़क पर भी नहीं आते। दूध गेट के अंदर से ही लेते हैं। कंटेनमेंट क्षेत्र की गलियों के बाहर 24 घंटे पुलिस का पहरा है। 

डर के साये में रह रहे लोग...

नेहरू नगर चौराहे से भीतर कोपल स्कूल के पास की कॉलोनियों में एक्सट्रीम लॉकडाउन है। यहां पुलिस का सख्त पहरा है। यहां रहने वाली पल्लवी शर्मा कहती हैं कि जिसे भी घर के बाहर जाना है, पहले पुलिस के रजिस्टर में एंट्री करनी होती है। बिना वजह कोई बाहर नहीं निकलता। सी सेक्टर में रहने वाले योगेश जोशी बताते हैं कि पड़ोस में रहने वाले अंकल बुधवार को ही अस्पताल से लौटे हैं, लेकिन अब भी कोई निकलने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा है। बच्चों तो कमरे में कैद हैं। 

शबरी नगर... बैरिकेडिंग को लांघना नामुमकिन

  • थोड़ा आगे चलने पर शबरी नगर का सबसे वल्नरेबल एरिया मिला। पुरानी व नई बस्ती के बीच चंद कदमों का फासला है, लेकिन दोनों ओर ऐसी बैरिकेडिंग है कि कोई उसे लांघने की हिम्मत नहीं करता, क्योंकि पुलिस का सख्त पहरा है। नए शबरी नगर के 14 ब्लॉक में 512 मकान हैं। पुराने शबरी नगर के योगेश डगे कहते हैं कि राशन लेने के लिए भी बाहर नहीं जा सकते। 
  • मेहता कॉम्पलेक्स रोड भी कंटेनमेंट जोन है। यहां की सुनीता जाधम व जया सिंह दरवाजे से झांककर सिर्फ इतना कहती हैं कि यहां 4 दिन पहले ही पॉजिटिव केस मिला है। पहले ताे शाम के वक्त सड़क पर टहल लेते थे, लेकिन अब नहीं निकलते।



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