ग्वालियर। किताबों की दुकानों पर पिछले एक माह से धूल जमी हुई थी और इस धूल को हटाने के लिए मंगलवार की शाम को हटाने के लिए दुकानदार पहुंचे तो बुधवार सुबह दुकानें खुलने से पहले सोशल डिस्टेंसिंग बनाने के लिए गोले भी बनाए, लेकिन प्रशासन द्वारा आदेश जारी किया गया कि दो दिन खुलने वाली किताबों की दुकानों के शटर नहीं खुलेंगे।
निजी स्कूलों में पढऩे वाले बच्चों की ऑनलाइन पढ़ाई शुरू हो गई है और शिक्षकों द्वारा सुबह-शाम हर रोज क्लास लगाई जा रही है, लेकिन विद्यार्थियों को अध्ययन करने में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। पाठ्य पुस्तक नहीं होने के कारण विद्यार्थी अध्ययन नहीं कर पा रहे हैं। इसका मुख्य कारण यह है कि लॉकडाउन के चलते 22 मार्च से किताबों की दुकानों के शटर डाउन हैं। जिला प्रशासन द्वारा किराना सब्जी दुकानदारों की तरह पाठ्य सामग्री बेचने वाले दुकानदारों को आदेशित किया था कि 22 अप्रैल से दो दिन के लिए दुकानें खोली जाएंगी जिससे बच्चे कॉपी, किताबें खरीदकर ऑनलाइन पढ़ाई कर सकें। प्रशासन के आदेश के बाद दुकानदारों के चेहरे खिल गए थे और वह दुकानों पर पहुंचकर सफाई करते हुए शटरों पर जमीं धूल हटा रहे थे, इस बीच प्रशासन द्वारा दुकानें खुलने का ऑर्डर निरस्त कर दिया।
सिकंदर कम्पू पर रहने वाले आशू श्रीवास्तव का कहना है कि उनकी बेटी सेनटेरेसा स्कूल में अध्ययन करती है और इसके लिए वह पाठ्य सामग्री खरीदने जब दुकान पर पहुंचे तो शटर ही नहीं उठा। दुकानदार से सम्पर्क किया तो उन्होंने कहा कि आदेश दुकान खोलने का नहीं है, विक्टोरिया मार्केट में किताबों का कारोबार करने वाले कमल राजवानी का कहना है कि उत्तरप्रदेश सरकार ने किताबों की दुकानों को राहत दी है इसी तरह मध्यप्रदेश सरकार को भी देनी चाहिए, जिला प्रशासन ने दो दिन पहले दुकानें खोलने के लिए कहा था और हमने तैयारी भी कर ली थी, लेकिन रात आए आदेश के बाद दुकानों का शटर नहीं खोला।