भोपाल. प्रदेश सरकार ने प्रधानमंत्री आवास योजना में अनियमित आवंटन के मामले में आईएएस अफसर सभाजीत यादव को निलंबित करने के बाद अब विभागीय जांच की तैयारी शुरू कर दी है। इससे उनकी पेंशन भी अटक सकती है। रीवा में नगर निगम आयुक्त रहते हुए सभाजीत ने आवास योजना के 14.12 करोड़ रुपए हितग्राहियों के खाते में डालने की बजाय सीधे ठेकेदारों को भुगतान कर दिया था। इस वजह से अभी तक 1080 मकान आवास योजना में अधूरे पड़े हैं। यादव ने पद पर रहते भाजपा नेताओं पर आरोप लगाए थे। कांग्रेस शासनकाल में 19 फरवरी 2019 को यादव काे रीवा जिले का निगमायुक्त बनाया गया था। यादव को सामान्य प्रशासन विभाग ने 6 फरवरी 2020 को नोटिस थमाया था। करीब ढाई महीने बाद शासन की सख्ती के चलते यादव को 20 अप्रैल को निलंबित करने का आदेश जारी किया गया है।
हितग्राहियों के खाते में नहीं डाले 14.12 करोड़
रीवा नगर निगम को प्रधानमंत्री आवास योजना में 59 करोड़ रुपए मिले थे। इसमें कुल 2240 मकान बनाए जाने थे। इसके लिए निगम ने 44.23 करोड़ रुपए हितग्राहियों के खाते में आवास निर्माण के डाले गए। बाकी 14.77 में से 14.12 करोड़ रुपए खाते में डालने की जगह ठेकेदारों को सीधे भुगतान कर दिया। केंद्र सरकार की गाइडलाइन के मुताबिक हितग्राहियों के खाते में राशि डालना चाहिए था। हितग्राहियों के खाते में 5 महीने से राशि नहीं डलने की वजह से 1080 मकान अधूरे पड़े है। इसी तरह रतहरा एवं ललपा साइट पर 378 मकान बनकर तैयार हो चुके थे। इनका आवंटन नहीं किया गया। मकान की पात्रता होने के बावजूद हितग्राही आवंटन नहीं होने से भटकते रह गए। एलआईजी और एचआईजी मकान और दुकानों का निर्माण और आवंटन भी धीमी गति से होने पर नहीं हो पाया।
मेरे खिलाफ सभी आरोप झूठे-यादव
सामान्य प्रशासन विभाग के आरोप पत्र पर यादव ने 27 फरवरी को नोटिस का जवाब भेजा था। इसमें कहा गया कि मेरे पद संभालने के पहले ही तत्कालीन आयुक्त द्वारा 6.78 करोड़ राशि का भुगतान ठेकेदारों को कर दिया गया था। 1080 मकान अधूरे पड़े होना गलत है, क्योंकि 1130 हितग्राहियों को 5.22 करोड़ की राशि जारी की गई थी। 522 हितग्राहियों को पहली किश्त दे दी गई थी। इसके अलावा रतहरा में 200 और ललपा में 98 हितग्राहियों को जुलाई में आवास आवंटन कर दिए थे।