भोपाल| भाजपा में शामिल होने के दो दिन बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भोपाल में राज्यसभा के लिए नामांकन दाखिल कर दिया। विधानसभा में सिंधिया के नामांकन भरने के दौरान पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, राज्यसभा सांसद प्रभात झा, प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा, गोपाल भार्गव भी मौजूद रहे। इससे पहले, सिंधिया ने भाजपा नेताओं के साथ नरोत्तम मिश्रा के घर पर लंच किया। कहा जा रहा था कि उनके नामांकन में बेंगलुरु में मौजूद सिंधिया गुट के मंत्री-विधायक मौजूद रह सकते हैं, लेकिन कांग्रेस के बागी विधायकों का विमान भोपाल नहीं पहुंचा है। सिंधिया के साथ भाजपा के दूसरे प्रत्याशी सुमेर सिंह सोलंकी ने भी नामांकन दाखिल किया।
कयास लगाए जा रहे हैं कि ज्योतिरादित्य सिंधिया समर्थक मंत्री और विधायक शुक्रवार दोपहर बाद भोपाल पहुंच सकते हैं। इन सभी के शाम तक विधानसभा अध्यक्ष से मुलाकात करने की संभावना है। इस बीच, कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने बेंगलुरु से लौटने वाले विधायकों में कोरोनावायरस संक्रमण की आशंका जताई। दिग्विजय ने उनका टेस्ट कराने की मांग की है। 10 मार्च को भाजपा में शामिल हुए ज्योतिरादित्य सिंधिया और सुमेर सिंह सोलंकी को पार्टी ने प्रत्याशी बनाया है। आज कांग्रेस के दूसरे प्रत्याशी फूल सिंह बरैया भी नामांकन दाखिल करेंगे, जबकि दिग्विजय सिंह गुरुवार को ही अपना नामांकन भर चुके हैं।
राज्यसभा चुनाव 26 मार्च को, 3 सीटों के लिए वोटिंग
मध्य प्रदेश में राज्यसभा की कुल 11 सीटें हैं। अभी भाजपा के पास 8 और कांग्रेस के पास 3 सीटें हैं। पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह, भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रभात झा और पूर्व केंद्रीय मंत्री सत्यनारायण जटिया का राज्यसभा में कार्यकाल 9 अप्रैल को पूरा हो रहा है। इन तीनों सीटों पर 26 मार्च को चुनाव होना है। मध्य प्रदेश की 230 सदस्यों वाली विधानसभा में अभी 228 विधायक हैं। 2 विधायकों के निधन के बाद 2 सीटें खाली हैं, लेकिन मंगलवार को ज्योतिरादित्य सिंधिया के कांग्रेस छोड़ते ही पार्टी के 22 विधायकों ने इस्तीफा दे दिया। इसके बाद विधानसभा की सीटों को लेकर दो स्थितियां बन रही हैं...
पहली स्थिति : अगर कांग्रेस के 22 विधायकों के इस्तीफे मंजूर हुए
इस स्थिति में विधानसभा में सदस्यों की संख्या 206 हो जाएगी। राज्यसभा की सीट जीतने के लिए एक प्रत्याशी को 52 वोट की जरूरत होगी। भाजपा के पास 107 और कांग्रेस के पास समर्थकों को मिलाकर 99 वोट हैं। वोटिंग होने पर भाजपा को 2 सीटें आसानी से मिल जाएंगी। कांग्रेस को 1 सीट से संतोष करना होगा। साथ ही सरकार भी गिर जाएगी। भाजपा के 2 विधायक कमलनाथ के संपर्क में हैं। अगर इन्होंने क्रॉस वोटिंग की, तब भी कांग्रेस को फायदा नहीं होगा।
दूसरी स्थिति : अगर कांग्रेस के 22 विधायकों के इस्तीफे मंजूर नहीं हुए तो
राज्यसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस व्हिप जारी करेगी। अगर कांग्रेस के 22 विधायकों ने मतदान प्रक्रिया में हिस्सा लेकर क्रॉस वोटिंग की, तो स्पीकर उन्हें अयोग्य करार देने का फैसला कर सकते हैं। ऐसी स्थिति में भी भाजपा को फायदा ही है। उसे राज्यसभा की 2 सीटें मिल जाएंगी। सरकार अल्पमत में रहेगी और कमलनाथ को इस्तीफा देना होगा। विधानसभा में सदस्यों की संख्या घटकर 206 रह जाएगी। ऐसे में भाजपा बहुमत का 104 का आंकड़ा आसानी से हासिल कर लेगी। राज्यसभा चुनाव के लिए वोटिंग के दौरान अगर कांग्रेस के 22 विधायक गैर-हाजिर रहते हैं, तब भी कांग्रेस के व्हिप का उल्लंघन करने के चलते स्पीकर उन्हें अयोग्य घोषित कर सकते हैं।