अर्थशास्त्र और नीति ग्रंथ के महान ज्ञाता आचार्य चाणक्य ने चाणक्य नीति में जीवन की पहेलियों को सुलझाने के लिए कई बातों और नीतियों का उल्लेख किया है. वो कहते हैं कि चार प्रकार के लोगों को उनके व्यवहार समान काम सौंप देना चाहिए. ऐसा करने से मनुष्य कई प्रकार कठिनाइयों से बच जाता है और परेशानी से मुक्त होकर सुखी जीवन जीता है. आइए जानते हैं चाणक्य के मुताबिक उन चार प्रकार के लोगों और उन्हें सौंपे जाने वाले कामों के बारे में...
सुकुले योजयेत्कन्या पुत्रं पुत्रं विद्यासु योजयेत्।
व्यसने योजयेच्छत्रुं मित्रं धर्मे नियोजयेत्॥
इस श्लोक में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि कन्या की शादी किसी अच्छे घर में करना चाहिए, जहां उसका मान-सम्मान हो. वो घर ऐसा हो जहां उसका आदर हो और उसकी सही भावनाओं को समझा जाए. बात-बात पर उसका अपमान न किया जाए.
वो कहते हैं कि संतान की अच्छी परवरिश बेहद जरूरी है, इसलिए पुत्र को पढ़ाई-लिखाई में लगा देना चाहिए. इससे संतान को सफलता का सही मार्ग मिलता है और वो बुद्धिमान बनता है. यही बुद्धिमता उसे लक्ष्य प्राप्ति की ओर ले जाती है.
आचार्य के मुाताबिक मित्र को अच्छे काम में लगा देना चाहिए, ताकि वो आपको समय पर अच्छी सलाह दे सके. वो कहते हैं कि मित्र को मेहनत और ईमानदारी वाले काम सौंप देने चाहिए. इससे वो अपना जीवन सुधार सकता है. याद रखें दोस्त सफल होगा तो वो आपके लिए भी सफलता के रास्ते खोजने में मददगार होगा.
चाणक्य कहते हैं कि दुश्मन को बुराइयों में लगा देना चाहिए, यही व्यावहारिकता है और समय की मांग भी. वो कहते हैं कि दुश्मन को बुरी आदतों का शिकार बना देना चाहिए ताकि वह उसी में उलझकर रह जाए और आपको अनावश्यक रूप से परेशान न करे.