करीला का राई नृत्य सांस्कृतिक विरासत में शामिल, रंगपंचमी पर जानकी दरबार में लगता है मेला, यहीं होता है राई, नृत्यांगनाओं को मिलेगी पेंशन

Posted By: Himmat Jaithwar
4/20/2020

अशोकनगर. करीला मंदिर स्थित मां जानकी के दरबार में होने वाले बुंदेली राई नृत्य को देश की सांस्कृतिक विरासत में शामिल किया है। इससे बुंदेली राई नृत्यांगनाओं को सम्मान मिलेगा। साथ ही इस कला को प्रोत्साहन भी मिलेगा। भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय ने इस नृत्य को सांस्कृतिक विरासत में शामिल किया है।


बुंदेली राई नृत्यांगनाओं को सांस्कृतिक विरासत में शामिल करने से जहां उनकी कला के लिए देशभर में प्रोत्साहन व सम्मान मिलेगा वहीं बुजुर्ग नृत्यांगनाओं को पेंशन मिलने का लाभ भी मिलेगा। रंगपंचमी पर तीन दिवसीय मेला लगाया जाता हैं जहां दूर-दूर से नृत्यांगनाएं आती हैं। सांस्कृतिक विरासत में शामिल होने से काफी लाभ मिलेगा। सांसद डॉ.केपी यादव ने कहा करीला मंदिर में होने वाले बुंदेली राई नृत्य के सांस्कृतिक विरासत में शामिल होने से अब निश्चित तौर पर इस कला को बढ़ावा मिलने के साथ नृत्यांगनाओं को सम्मान मिलेगा। जैसा कि रामायण में भी उल्लेख है कि लव-कुश के जन्म के समय बधाई नृत्य करने अप्सराएं आईं थीं, मान्यतानुसार तब से ही करीला मंदिर में नृत्यांगनाएं मान्यता का निर्वहन करती चली आ रहीं हैं।

सांसद ने कहा है कि पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए ओरछा महोत्सव की तर्ज पर करीला महोत्सव मनाने के लिए भी केन्द्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री प्रहलाद पटेल से चर्चा की गई है, इसकी स्वीकृति भी जल्द प्रदान होगी।



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