प्रशांत किशोर ने किया ट्वीट, उठाया सवाल- विधायक के बच्चे को कोटा से लाने की अनुमति क्यों?

Posted By: Himmat Jaithwar
4/19/2020

राजस्थान के कोटा में मेडिकल-इंजीनियरिंग की तैयारी कर रहे छात्रों के फंसे होने को लेकर चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर उर्फ पीके नीतीश सरकार पर लगातार हमलावर हो रहे हैं। 

ताजा मामले में उन्होंने ट्वीटर पर ट्वीट करते हुए एक चिठ्ठी की कॉपी जारी करते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को टैग किया है। इसमें उन्होंने सवाल उठाया है कि जब सरकार ने बिहार के बच्चों को कोटा से लाने से मना कर दिया है तो विधायक के बेटे को कोटा से लाने की विशेष अनुमति क्यों दी गई है। 

ट्वीट में पीके ने लिखा है कोटा में फंसे बिहार के सैकड़ों बच्चों की मदद की अपील को @नीतीश कुमार ने यह कहकर खारिज कर दिया था ऐसा करना लॉकडाउन की मर्यादा के खिलाफ होगा लेकिन अब उन्ही की सरकार ने बीजेपी के एक एमएलए को कोटा से अपने बेटे को लाने की विशेष अनुमति दी है। नीतीश जी अब आपकी मार्यादा क्या कहती है।

इससे पहले बिहार विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने भी नीतीश सरकार पर बच्चों को वापस बुलाने को लेकर निशाना साध चुके हैं। प्रतिपक्ष तेजस्वी प्रसाद यादव ने शनिवार को आरोप लगाया कि बिहार सरकार प्रदेश के बाहर फंसे मजदूरों और छात्रों के प्रति असंवेदनशील है। पिछले कई दिनों से देश के अलग-अलग क्षेत्रों में फंसे राज्य के मजदूर एवं छात्र अपने घर वापस आने की गुहार लगा रहे हैं।गुजरात, उत्तरप्रदेश सहित अन्य राज्य सरकारें बाहर फंसे अपने लोगों को उनके घरों तक पहुंचाने का इंतजाम कर रही है, वहीं बिहार सरकार ने राज्यवासियों को बीच मंझधार में बेसहारा छोड़ दिया है। 

 

इससे पहले पीके ने कहा था कि राज्य के लोग देश के विभिन्न हिस्सों में फंसे हुए हैं और जदयू उनका मुद्दा उठाने की बजाय लॉकडाउन के सिद्धांतों की सीख दे रही है। कई राज्य सरकारें कुछ न कुछ कर रही हैं लेकिन नीतीश ने संबंधित राज्यों के साथ बातचीत भी नहीं की। उन्होंने प्रधानमंत्री के साथ बैठक में यह मुद्दा नहीं उठाया।

इससे पहले बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी प्रसाद यादव ने शनिवार को आरोप लगाया कि बिहार सरकार प्रदेश के बाहर फंसे मजदूरों और छात्रों के प्रति असंवेदनशील है। पिछले कई दिनों से देश के अलग-अलग क्षेत्रों में फंसे राज्य के मजदूर एवं छात्र अपने घर वापस आने की गुहार लगा रहे हैं।गुजरात, उत्तरप्रदेश सहित अन्य राज्य सरकारें बाहर फंसे अपने लोगों को उनके घरों तक पहुंचाने का इंतजाम कर रही है, वहीं बिहार सरकार ने राज्यवासियों को बीच मंझधार में बेसहारा छोड़ दिया है। तेजस्वी ने कहा कि दिल्ली एनसीआर से जब मजदूर उत्तर प्रदेश की मदद से वापस आने लगे तो सरकार ने कहा कि उन्हें बिहार में घुसने नहीं देंगे। कोटा से जब छात्र आए तो उन्होंने उनको भी बिहार में प्रवेश करने नहीं दिया और उल्टे केंद्र सरकार से वहां के जिलाधिकारी की शिकायत भी की। 

उल्लेखनीय है कि बिहार सरकार ने यूपी सरकार द्वारा बसें भेजकर कोटा से छात्रों को वापस लाने से इनकार करते हुए दूसरे राज्यों को ऐसा ही कदम उठाने की सीख देने वाले राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर निशाना साधते हुए इसे देशव्यापी लॉकडाउन का मजाक करार दिया। राज्य के ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार ने कहा कि राज्य सरकार ऐसा काम नही करेगी। उन्होंने कहा कि बाहर फंसे राज्य के सभी लोगों को सुविधाएं बिहार सरकार दे रही है। कोरोना संक्रमण के बीच अभी उन्हें बिहार बुलाना सही कदम नहीं होगा। बेहतर यही होगा कि जो जहां पर हैं, वहीं पर थोड़ा धैर्य रखें। उन्होंने यह भी कहा कि विपक्ष ऐसे मामलों में भी सकारात्मक भूमिका नहीं निभा रहा है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने खुद शुक्रवार को कहा था कि ऐसा कदम लॉकडाउन के उद्देश्य को ही हरा देगा और यह दूसरे राज्यों में फंसे बिहार के मजदूरों के साथ अन्याय होगा। सरकार ने कोटा प्रशासन द्वारा कोचिंग सेंटर के छात्रों और उनके अभिभावकों को उनके गृह राज्य वापस जाने के लिए पास जारी करने का विरोध भी जताया था।



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