महराजगंज को COVID-19 महामारी से बचाकर हीरो बने IAS उज्ज्वल, फ्रांस का यह परिवार भी हुआ मुरीद
Posted By: Himmat Jaithwar
4/19/2020
महराजगंज. पीलीभीत (Pilibhit) के बाद महाराजगंज (Maharajganj) उत्तर प्रदेश का दूसरा ऐसा जिला है, जिसे कोरोना वायरस (Coronavirus) के संक्रमण से मुक्त घोषित किया गया है. प्रशासन की सतर्कता और संक्रमण रोकने की गंभीरता से फ्रांस का एक परिवार काफी प्रभावित हुआ. ऐसे में जबकि घर से दूर बाहरी इलाकों या देशों में फंसे लोग, वतन वापसी करना चाहते हैं, यह फ्रांसीसी परिवार महाराजगंज में ही रहना चाहता है. इस जिले को कोरोना मुक्त करने की दिशा में प्रशासन की तरफ से क्या एहतियात बरते गए और किस तरह उन्होंने इस लक्ष्य को हासिल किया गया, इस बाबत विस्तार से जानने के लिए न्यूज 18 हिंदी ने महाराजगंज के जिलाधिकारी डॉ. उज्ज्वल कुमार (Dr. Ujjawal Kumar) बात की. प्रस्तुत हैं बातचीत के प्रमुख अंश:
महराजगंज प्रदेश का दूसरा ऐसा जिला है, जिसे कोरोना वायरस के संक्रमण से मुक्त घोषित कर दिया गया है. जिला प्रशासन ने ऐसे कौन से कदम उठाए थे, जिनकी मदद से आप न केवल कोरोना संक्रमण के मामलों को रोकने में कामयाब रहे, बल्कि अपने जिले को कोरोना मुक्त बना दिया
भारत में कोरोना वायरस की दस्तक के साथ केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय एवं उत्तर प्रदेश शासन ने सभी डीएम को सचेत कर दिया था. इसके बाद हमने तीन मोर्चों पर एक साथ काम शुरू किया था. पहला मोर्चा ऐसे लोगों की पहचान करना था, जो कोरोना संक्रमित हो सकते हैं. दूसरा मोर्चा उन लोगों का पता लगाना था, जो संक्रमित लोगों के संपर्क में आए हैं. वहीं, तीसरा मोर्चा विभिन्न इलाकों के सैनेटाइजेशन का था. इसके साथ ही जिले में जगह-जगह क्वारंटाइन सेंटर और आइसोलेशन सेंटर की स्थापना समय रहते कर दी गई. कोविड-19 की गाइडलाइन के तहत एल-1 और एल-2 हॉस्पिटल भी हमने बना लिए थे, जिससे किसी भी आपात स्थिति का सामना बिना किसी परेशानी के कर सकें. इन प्रयासों का नतीजा था कि हम समय रहते अपने जनपद को कोरोना वायरस के संकमण से सुरक्षित करने में कामयाब हो गए.
महाराजगंज में पहला कोरोना पॉजिटव कब और कहां से सामने आया. वे कौन से लोग थे, जिनके संपर्क में आने से ये छह लोग कोरोना से संक्रमित हो गए?
जिला प्रशासन, स्थानीय पुलिस और स्वास्थ्य विभाग की टीम लगातार जनपद के बाहर से आने वाले लोगों पर निगाह रख रही थी. इन लोगों के बारे में जानकारी जुटाने के लिए सोशल इंटेलीजेंस का भी इस्तेमाल किया जा रहा था. इसी बीच हमें सूचना मिली कि दिल्ली में हुए एक मजहबी जलसे में शामिल होने वाले 6 लोग जनपद में पहुंचे हैं. हमने उन 4 गांवों को चिन्हित किया, जहां पर ये लोग मौजूद थे. इन लोगों के सैंपल लेने के बाद इनको होम क्वारंटाइन कर दिया गया. रात में हमें सूचना मिली कि सभी छह सैंपल पॉजिटिव हैं. इसके बाद रात में ही सभी टीमें चारों गांवों में पहुंची. कोरोना पॉजिटिव मरीजों के साथ-साथ उनके संपर्क में आने वाले 36 परिजनों को लेकर हम आ गए. कोरोना पॉजिटव पाए गए सभी लोगों को एल-1 फैसिलिटी में भर्ती कराया गया, जबकि उनके 36 परिजनों को क्वारंटाइन कर दिया गया.
जैसा कि हम सब जानते हैं कि कोरोना वायरस सिर्फ संक्रमण से फैलता है. गांव आने के बाद ये संक्रमित कई अन्य लोगों से मिले होंगे. ऐसे में यह कैसे सुनिश्चित हुआ कि गांव में कोई दूसरा शख्स इनके संपर्क में आने से संक्रमित नहीं हुआ?
हमारी मुहिम में दो चीजें अहम थीं. पहली संदिग्ध की पहचान करना और दूसरी उसके संपर्क आने वाले लोगों की खोज करना. इस केस में भी जैसे ही हमें कोरोना पॉजिटिव केस के बारे में पता चला, हमने उनको तो एल-1 फैसिलटी में भर्ती किया ही, साथ ही उनके संपर्क में आने वाले परिवार के सभी 36 लोगों को क्वारंटाइन किया. इन सभी 36 लोगों के भी टेस्ट कराए गए, जिसमें सभी की रिपोर्ट निगेटिव आई. बावजूद इसके हमने इनको 14 दिनों के लिए क्वारंटाइन किया, ताकि संक्रमण फैलने की आशंका न रहे. साथ ही कोरोना पॉजिटिव केस के बारे में पता लगने के साथ ही हमने चारों गांवों को पूरी तरह से सील कर दिया. गांव का लगातार दो बार सैनेटाइजेशन कराया गया. अगले चरण में इन गांवों के तीन किलोमीटर के दायरे में आने वाले सभी 40 हजार लोगों की स्क्रीनिंग कराई गई. स्कीनिंग के दौरान हर पांचवे शख्स का रैंडम सैंपल लिया गया, जिसमें सभी की जांच रिपोर्ट निगेटिव आई.
यह तो बात गांव की रही, लेकिन ये लोग दिल्ली से महाराजगंज पहुंचे थे, यानी ये लोग ट्रेन में भी कुछ लोगों के संपर्क में आए होंगे. उनकी पहचान किस तरह संभव हुई?
यह सही है कि मरकज से शरीक होने के बाद ये सभी लोग ट्रेन से महाराजगंज पहुंच थे. हमने रेलवे की मदद से इस ट्रेन में सफर करने वाले सभी लोगों के नाम, मोबाइल नंबर और पते की सूची तैयार की. हमने अपने जिले में ऐसे लोगों की पहचान की, जिन्होंने इस ट्रेन में सफर किया. साथ ही दूसरे जनपद के बहुत से लोग थे, जो इस ट्रेन में सफर कर रहे थे, उन सभी लोगों की सूची हमने जनपदवार वहां के जिलाधिकारियों से साझा की. इस ट्रेन से सफर करने वाले जिन लोगों की पहचान हमारे जिले से हुई, उन सभी लोगों को हमने 14 दिनों के लिए एहतियातन क्वारंटाइन किया. सब कुछ ठीक पाए जाने पर हमने इनको जाने की इजाजत दे दी. आपको जानकर आश्चर्य होगा कि कोरोना पॉजिटिव के दायरे में आने वाले हर शख्स को खोज कर यह सुनिश्चित किया गया कि कहीं वह भी कोरोना संक्रमित तो नहीं. इस तरह सिर्फ महाराजगंज जिला प्रशासन ने इस पूरी कवायद के तहत करीब 40 हजार लोगों की स्क्रीनिंग और करीब 7500 लोगों की जांच कराई है.
23 मार्च को देश में लॉकडाउन घोषित होने के साथ अपने घरों को पलायन कर रहे मजदूरों ने बड़ी समस्या खड़ी कर दी. आपके यहां पलायन कर आए मजदूरों की स्थिति क्या थी और इस परिस्थिति को आपने कैसे संभाला?
लॉकडाउन घोषित होने के बाद देश के तमाम महानगरों से महाराजगंज की तरफ भी लोगों का पलायन शुरू हुआ था. करीब 9000 लोगों की भीड़ एक साथ महाराजगंज पहुंच गई थी. इस स्थिति को हमने प्रशासनिक और भावनात्मक मोर्चे पर एक साथ संभाला. पहला हम यह नहीं चाहते थे कि यदि गलती से भी कोई संक्रमित आ गया है तो वह दूसरों के संपर्क में आ पाए. वहीं, हम यह भी नहीं चाहते थे कि इनती मेहनत और दिक्कत से घर पहुंचे लोग घर वालों से बहुत दूर हो जाएं. लिहाजा, हमने फैसला लिया कि इन सभी लोगों को हम इनके गांव के स्कूल में क्वारंटाइन करेंगे. जिससे घर वालों को इनके समाचार मिलते रहें और हम लोगों के स्वास्थ्य की सुरक्षा को सनिश्चित कर सके. मैं यहां यह जरूर कहूंगा कि कोरोना के संक्रमण को लेकर अब गांव वाले भी बहुत जागरूक हैं. वे खुद किसी भी ऐसे शख्स को गांव में दाखिल नहीं होने देना चाहते हैं, जिसकी मेडिकल जांच नहीं हुई है.
महाराजगंज की सीमाएं नेपाल से भी लगती हैं. इस बात में कितनी सच्चाई है कि लॉकडाउन की घोषणा के साथ सैकड़ों की संख्या में पर्यटकों ने भारत आने की कोशिश की थी?
कोरोना संक्रमण के मामलों को देखते हुए देश में तेजी से पलायन शुरू हुआ था. इसी बीच, नेपाल ने अचानक यह घोषणा कर दी थी कि आज रात से वह अपना बॉर्डर सील कर रहे हैं. जबकि हमारी तरफ से दो-तीन दिन के बाद बॉर्डर बंद किया गया था. इस बीच, हमारी तरफ तीन-चार सौ लोग इकट्ठा हो गए थे, जो नेपाल जाना चाहते थे. ऐसी ही कुछ स्थिति बॉर्डर के उस पार भी थी. वहां से करीब 150 भारतीय बॉर्डर क्रास करना चाहते थे. चूंकि अभी तक हमने अपना बॉर्डर बंद नहीं किया था, लिहाजा नेपाल के आधिकारियों से बात की. जिस पर वे नेपाल मूल के लोगों को लेने के लिए राजी हो गए और उन्हें नेपाल भेज दिया गया. इस बीच, यह खबर तमाम बड़े शहरों में पहुंच गई. फिर से सैकड़ों की संख्या में लोग बॉर्डर में पहुंच गए. इन लोगों को एसएसबी और लोकल पुलिस की मदद से क्वारंटाइन किया गया है. इसी तरह, हमारे देश के करीब 150 लोगों को बॉर्डर पर नेपाल ने भी क्वारंटाइन किया हुआ है.
खबरें ऐसी भी थीं कि भारत मे कोरोना महामारी फैलाने के लिए पाकिस्तान अपने आतंकियों को नेपाल के रास्ते भारत भेजने की कोशिश कर रहा था. ये बातें कहां तक सच हैं?
ऐसी खबर खबर सुनने में आई थी कि पाकिस्तान अपने लोगों को नेपाल के रास्ते भारत में दाखिल करना चाहता था. इंटरनेशनल बॉर्डर पर तैनात एसएसबी के जवानों ने सीमा को पूरी तरह से सील कर रखा है. महाराजगंज की सीमा से इस तरह की कोशिश अभी तक नहीं देखी गई है. वैसे, एसएसबी, पुलिस और जिला प्रशासन पूरी तरह से सतर्क है. ऐसी किसी भी कोशिश को सफल नहीं होने दिया जाएगा.
आखिर में, सुना है आपके यहां फ्रांस का एक परिवार ऐसा है कि आपकी सुविधाओं से खुश होकर वह अपने देश वापस नहीं जाना चाहता है. उनका कहना है कि फ्रांस से बेहतर सुविधाएं यहां हैं.
जी हां, हमारे यहां फ्रांस से आई हुई एक फैमिली है. देश में लॉकडाउन की घोषणा के बाद से वह महाराजगंज में ही हैं. उन्होंने मंदिर के पास अपना टेंट लगा रखा है. वे अपने टेंट में ही रहते हैं. जिला प्रशासन की तरफ से उन्हें सभी आवश्यक सुविधाएं एवं वस्तुएं उपलब्ध कराई जा रही हैं. इस परिवार की अपनी एंबेसी से बात चल रही है. सबकुछ ठीक होने पर वे अपने वतन के लिए रवाना हो जाएंगे.