लखनऊ. महामारी (Pandemic) कोरोना वायरस (Coronavirus) का खतरा देश-प्रदेश लगातार बढ़ता जा रहा है. जिसे देखते हुए पीएम मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने मंगलवार को जहां देशव्यापी लॉकडाउन (Lockdown) को अब 3 मई तक बढ़ा दिए जाने का ऐलान कर दिया है, तो वहीं आज गृह मंत्रालय ने 20 अप्रैल से कम जोखिम वाले क्षेत्रों में लॉकडाउन के दौरान छूट से जुड़ी गाइडलाइन जारी कर दी है. इस गाइडलाइन में कृषि, स्वास्थ्य, निर्माण कार्य, ट्रांसपोर्ट से जुड़े कुछ कार्यों को सशर्त शुरू करने की अनुमति दे दी गई है. लेकिन इस दौरान मालगाड़ी (Good's Train) को छोड़ किसी अन्य ट्रेन या बस जैसे पब्लिक ट्रांसपोर्ट के साधनों के संचालन की अनुमति नहीं दी गई है. जिसको लेकर कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी (Congress General Secretary Priyanka Gandhi) ने लॉकडाउन में देश के विभिन्न राज्यों में फंसे मजदूरों के मुद्दे को लेकर ट्वीट कर मोदी सरकार से मजदूरों की मदद की अपील करते हुए केंद्र सरकार पर जमकर निशाना साधा है.
बढ़ते संक्रमण की वजह से बढ़ा लॉकडाउन
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने केंद्र की मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए अपने ट्वीट में लिखा कि ‘आखिर हर बार हर विपत्ति गरीबों और मजदूरों पर ही क्यों टूटती है? उनकी स्थिति को ध्यान में रखकर फैसले क्यों नहीं लिए जाते? उन्हें भगवान भरोसे क्यों छोड़ दिया जाता है? लॉकडाउन के दौरान रेलवे टिकटों की बुकिंग क्यों जारी थी? स्पेशल ट्रेनों का इंतजाम क्यों नहीं किया गया? उनके पैसे खत्म हो रहे हैं, स्टॉक का राशन खत्म हो रहा है, वे असुरक्षित महसूस कर रहे हैं-घर गांव जाना चाहते हैं. इसकी व्यवस्था होनी चाहिए थी. अभी भी सही प्लानिंग के साथ इनकी मदद की व्यवस्था की जा सकती है. मजदूर इस देश की रीढ़ की हड्डी हैं. @narendramodi जी भगवान के लिए इनकी मदद कीजिए.’
दरअसल, देश-प्रदेश में लागातार बढ़ रहे कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए बीते 24 मार्च को 21 दिन के लिए 14 अप्रैल तक पूरे देश में लॉकडाउन घोषित कर दिया गया था और जो जहां है उसे वहीं रुकने के साथ अपने घरों से भी बाहर निकलने पर रोक लगा दी गई थी. जिसके चलते विभिन्न राज्यों में फंसे हजारों मजदूर अपने घर जाने के लिए खासा बेसब्री के साथ 14 अप्रैल का इंतजार कर रहे थे. लेकिन इस बीच कोरोना वायरस का खतरा थमने के बजाय लगातार बढ़ने के चलते पीएम मोदी ने 14 अप्रैल तक देश में लागू लॉकडाउन को 3 मई तक बढ़ाने का ऐलान कर दिया. जिसके बाद सूरत और मुम्बई के बांद्रा जैसे रेलवे स्टेशनों पर शहरों में फंसे हजारों मजदूर अपने घर जाने के लिए उमड़ पड़े थे.