भोपाल। पश्चिम बंगाल में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से लड़ते-लड़ते कैलाश विजयवर्गीय इतनी दूर निकल गए कि उनका इंदौर अब उनका नहीं रहा। कमलनाथ सरकार में तो गिरफ्तारी तक की नौबत आ गई थी। मध्य प्रदेश में सत्ता परिवर्तन जरूर हुआ परंतु कैलाश विजयवर्गीय को केवल एक ग्रुप फोटो में जगह मिल पाई। बीते रोज सीएम शिवराज सिंह चौहान ने भाजपा की टास्क फोर्स में कैलाश विजयवर्गीय का नाम जोड़ दिया। कैलाश जी ने मौके पर चौका मारने की कोशिश की। इंदौर की लगाम थामने के लिए आगे बढ़े परंतु एक बार फिर उनके पैर में ऐसा कांटा लगा कि कई दिनों तक दर्द करेगा।
कैलाश विजयवर्गीय को कांटा लगा: किस्सा क्या है
किस्सा कुछ यूं है कि मंगलवार को भाजपा के टास्क फोर्स की पहली वीडियो काॅन्फ्रेंसिंग मंगलवार को हुई। इसमें तमाम सुझावों व कोविड-19 के दौरान कामकाज को आसान बनाने की मसलों पर सभी ने सुझाव दिए। इसी बीच भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से पूछा कि टास्क फोर्स की भूमिका क्या होगी। क्या वह प्रशासनिक व्यवस्था में सीधे कोई निर्देश दे सकेंगे। शायद उन्हें उम्मीद थी कि सबके सामने इस तरह का प्रश्न पूछने से सीएम शिवराज सिंह चौहान इंकार नहीं कर पाएंगे और कुछ दिनों के लिए ही सही उन्हें इंदौर पर राज करने का मौका मिल जाएगा परंतु ऐसा कुछ हो नहीं पाया। विजयवर्गीय के इस सुझाव पर सीएम ने कांफ्रेंसिंग के दौरान कोई टिप्पणी नहीं की और बात आगे बढ़ गई।
कैलाश विजयवर्गीय को कांटा कैसे लगा
मजेदार बात यह है कि कैलाश विजयवर्गीय के सवाल को मीटिंग में तो नजरअंदाज किया गया परंतु मीटिंग के बाद काफी महत्व दिया गया। कैलाश विजयवर्गीय के अंदाज में किसी दूसरे व्यक्ति ने कुछ पत्रकार मित्रों को बुलाया और इस किस्से की जानकारी लीक कर दी। आप सब लोग इस घटनाक्रम के अपने-अपने मायने निकाल रहे हैं। कॉमन ओपिनियन यह है कि कैलाश विजयवर्गीय सत्ता के लिए तड़प रहे हैं (याद कीजिए बल्लामार से आग लगा देता तक)। वह एक बार फिर इंदौर के अधिकारियों पर उसी तरह रौब झाड़ना चाहते हैं जैसा कि 2018 के पहले।