भोपाल। मध्य प्रदेश में नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव से पहले सरकार सभी शहरों-गांवों में दीनदयाल अंत्योदय समितियों गठित करने जा रही है। इन पर निचले स्तर पर सरकारी योजनाओं का लाभ जरूरतमंदों तक पहुंचाने की जिम्मेदारी होगी। यही नहीं, योजनाओं के क्रियान्वयन में गड़बड़ी रोकने और मॉनिटरिंग का अधिकार भी इन्हें दिया जाएगा।
पार्टी सूत्रों का कहना है, जिलों में कलेक्टरों और नगर निगम आयुक्त जल्दी ही समितियों का गठन कर लिस्ट जारी करेंगे। इसे लेकर रविवार को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा के बीच चर्चा हुई। बता दें, इससे पहले शिवराज के तीसरे कार्यकाल के अंतिम साल (2018) में ऐसी समितियों का गठन की तैयारी हुई थी, लेकिन सत्ता हासिल नहीं हो पाई। फिर सत्ता में लौटने के बाद अब नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव से पहले इनका गठन किया जा रहा है।
मंत्रालय सूत्रों का कहना है, समिति सदस्यों को सरकार द्वारा अधिकृत किया जाएगा। इसमें पार्टी की जिला इकाई की अनुशंसा पर ग्राम पंचायत व ब्लॉक स्तर की समितियों के पदाधिकारियों को कलेक्टर अधिकृत करेंगे। जिला स्तरीय अंत्योदय समिति के अध्यक्ष प्रभारी मंत्री होंगे, जबकि राज्य स्तरीय समिति के अध्यक्ष मुख्यमंत्री होंगे। ये समितियां 5 साल तक काम करेंगी। भाजपा कार्यकर्ता अब अंत्योदय समितियों के जरिए सरकार को सीधे रिपोर्ट करेंगे। ग्राम पंचायत, ब्लॉक, जिला, नगर निगम, नगर पालिका, नगर पंचायत और प्रदेश स्तर तक अंत्योदय समितियां गठित की जा रही हैं।
सूत्रों का कहना है, इसका मकसद केंद्र और राज्य सरकार के कामों पर नजर रखना और रिपोर्ट सरकार को पहुंचाना है। राजनीतिक नजरिए से देखें, तो बीजेपी समितियों के माध्यम से शहरी क्षेत्र में पकड़ मजबूत बनाना चाहती है। दरअसल, यह प्लान RSS का है। शिवराज सरकार के चौथी बार सत्ता में आने के तत्काल बाद इसका एक्शन प्लान का खाका बनाना शुरू कर दिया गया था। इससे सत्ता और संगठन के समन्वय से संघ ने मिशन - 2023 का दूरगामी लक्ष्य भी तैयार किया है। समितियों के तय मापदंड के तहत ग्राम पंचायत स्तरीय समितियों में 5-5, नगर पंचायत में 7-7, ब्लॉक एवं नगर पालिका स्तर की समितियों में 11-11 सदस्य, नगर निगमों में 21, जिला स्तरीय समितियों में 25 और राज्य स्तरीय अंत्योदय समिति में 51 सदस्य शामिल होंगे। ब्लॉक-जिला कमेटियां हर माह बैठक करेंगी। इसके लिए सदस्यों को किराया भत्ता देने पर भी विचार चल रहा है।
समिति की योजना 1990 में सुंदरलाल पटवा की सरकार के समय तैयार की गई थी। तब मध्य प्रदेश भाजपा के पितृ पुरुष स्वर्गीय कुशाभाऊ ठाकरे की सलाह के बाद मुख्यमंत्री पटवा ने चार कुशल मंत्रियों, तत्कालीन सहकारिता मंत्री लक्ष्मी नारायण शर्मा, वित्त मंत्री रामहित गुप्त, वन मंत्री निर्भय सिंह पटेल और पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री भेरूलाल पाटीदार को पश्चिम बंगाल के ज्योति बसु मॉडल के अध्ययन के लिए कोलकाता भेजा था।