एक-दो दिन में टल जाएगा मध्य प्रदेश में मचा सियासी संकट, कमलनाथ ही बने रहेंगे मुख्यमंत्री

Posted By: Himmat Jaithwar
3/6/2020

भोपाल।अभी इसे आपरेशन लोटस का नाम मत दीजिए। कांग्रेस पार्टी मध्य प्रदेश में डैमेज कंट्रोल पर जुट गई है। मुख्यमंत्री सीएम कमलनाथ से कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने खुद फीडबैक लिया है। मध्य प्रदेश में सबकुछ ठीक करने के लिए पार्टी के राज्यसभा सांसद और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह शुक्रवार सुबह वहां पहुंचे हैं।
दिग्विजय सिंह ने कमलनाथ से बात की है। कुछ अन्य नेताओं से मिले हैं। सूत्र बताते हैं पार्टी के दो बड़े नेताओं ने ज्योतिरादित्य सिंधिया से भी बात की है। ज्योतिरादित्य सिंधिया अभी इस पूरे प्रकरण से खुद को अलग रखकर चल रहे हैं। बताते हैं एक-दो दिन में सब ठीक हो जाएगा। राज्य में कांग्रेस की सरकार रहेगी।
 
इस बीच मध्य प्रदेश सरकार पर मंडरा रहे संकट के बादलों के बीच मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कैबिनेट की मीटिंग बुलाई थी। तमाम मंत्रियों ने उनमें आस्था दिखाई है। कांग्रेस के विधायकों का एक बड़ा धड़ा उनके साथ है। मध्य प्रदेश विधानसभा के सूत्र बताते हैं कि कमल नाथ की सरकार को अपदस्थ करना इतना आसान नहीं है।

उनके मंत्रिमंडल के एक सहयोगी का कहना है कि नींद में भी कमलनाथ जागते रहते हैं। जल्द सब ठीक हो जाएगा। कमलनाथ सरकार को हर संकट से महफूज रकने के लिए फिलहाल बेटे जय वर्धन सिंह के साथ पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह लगातार अपनी भूमिका निभा रहे हैं। जीतू पटवारी को भी उम्मीद है कि एक दो दिन में सब ठीक हो जाएगा।
 
पार्टी की तेज तर्रार महिला नेता, महिला कांग्रेस की अध्यक्ष सुष्मिता देव का कहना है कि भाजपा चाहे जितनी कोशिश कर ले, लेकिन मध्य प्रदेश में कांग्रेस की सरकार रहेगी। सुष्मिता ने कहा कि जब से मध्य प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी है, भाजपा को यह हजम नहीं हो रहा है।
ज्योतिरादित्य कहां हैं?
ज्योतिरादित्य सिंधिया मध्य प्रदेश में चल रहे घटनाक्रम से बेखबर हैं। वह जमीन पर अपना काम कर रहे हैं। इस बारे में एक कांग्रेस नेता का कहना है कि ज्योतिरादित्य और मुख्यमंत्री कमलनाथ के बीच की केमिस्ट्री ही ऐसी है।

मुझे लग रहा है कि ज्योतिरादित्य को भोपाल से बुलावा नहीं आया। इसलिए जो घटनाक्रम चल रहे हैं, उससे दूरी बनाए हैं। यह वही ज्योतिरादित्य सिंधिया हैं, जिन्होंने विधानसभा चुनाव 2018 में मध्य प्रदेश में कांग्रेस को सत्ता में लाने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा दिया था।



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