जबलपुर। जबलपुर STF की जांच में रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी की परत-दर-परत खुलती जा रही है। शहर के निजी अस्पतालों में डॉक्टर बनकर मरीजों की जांच करने वाले झोला-छाप निकले। आरोपी 5 हजार रुपए में डिग्री खरीद कर डॉक्टर बने थे। STF ने फर्जी डिग्री बनाने वाले मास्टरमाइंड को दमोह से दबोच लिया है। आरोपी के पास से दो प्रिंटर, लैपटॉप और अन्य दस्तावेज जब्त किए गए हैं।
STF ने चार रेमडेसिविर इंजेक्शन के साथ 20 अप्रैल को पांच आरोपियों राहुल उर्फ अरुण विश्वकर्मा, राकेश मालवीय, डॉक्टर जितेंद्र सिंह ठाकुर, डॉक्टर नीरज साहू, सुधीर सोनी को गिरफ्तार किया था। वहीं नरेंद्र ठाकुर सहित उसके साथियों को बीते दिनों ओमती पुलिस ने रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी करते हुए पकड़ा था।
कॉलेज की रिपोर्ट से खुला फर्जीवाड़ा
STF को जांच के दौरान आशीष हाॅस्पिटल में कार्यरत RMO डॉक्टर नीरज साहू की डिग्री संदिग्ध लगी। इसके बाद उसकी डिग्री का सत्यापन कराने के लिए संबंधित MEH काॅलेज को भेजा गया। वहां से बताया गया कि डिग्री फर्जी है। नीरज साहू ने कभी कॉलेज में पढ़ाई ही नहीं की। STF ने इस खुलासे के बाद नीरज के खिलाफ धोखाधड़ी और फर्जीवाड़ा का अलग से मामला दर्ज किया।
ओमती पुलिस के हत्थे चढ़े नरेंद्र ठाकुर की डिग्री भी फर्जी
इसी मामले में नीरज साहू को STF 30 जून तक रिमांड पर लिया। रिमांड में पूछताछ के दौरान उसने बताया कि इंजेक्शन की कालाबाजारी में ओमती पुलिस द्वारा गिरफ्तार नरेंद्र ठाकुर ने पांच हजार रुपए में फर्जी डिग्री बनवाया था। STF ने नरेंद्र को भी प्रोडक्शन रिमांड पर लिया। दोनों से पूछताछ में पता चला कि नरेंद्र ठाकुर ने अपनी और नीरज साहू की डिग्री व मार्कशीट दोस्त सुजनीपुर पथरिया दमोह निवासी रवि पटेल से बनवाई थी। STF DSP ललित कुमार कश्यप, TI गनेश ठाकुर, मुनेंद्र कौशिक, शैलेंद्र सोनी, निर्मल पटेल, अंजनी पाठक व राहुल रघुवंशी की टीम ने रवि पटेल को दबोच लिया।
एडिटिंग और फोटोशॉप से तैयार कर देता था डिग्री
STF SP नीरज सोनी के मुताबिक, रवि ने पूछताछ में बताया कि एक डिग्री के एवज में उसने पांच हजार रुपए लिए थे। आरोपी से पूछताछ में पता चला कि उसने 5 हजार रुपए में BAMS और BHMS की डिग्री तैयार की थी। वह लैपटॉप में एडिटिंग करके फोटोशॉप के माध्यम से फर्जी डिग्री बनाता था। आरोपी की निशानदेही पर एक लैपटॉप, दो प्रिंटर जब्त किए गए।
आरोपी के पास से दो प्रिंटर, लैपटॉप और अन्य दस्तावेज जब्त किए गए हैं।
कई निजी अस्पतालों के RMO की डिग्री संदिग्ध
जबलपुर सहित कई जिलों में इसी तरह डिग्री बनाकर कई लोग निजी अस्पतालों में RMO की जाॅब कर रहे हैं। STF ने CMHO से निजी अस्पतालों को लेकर नियमों की जानकारी मांगी है। हैरानी की बात ये है कि निजी अस्पताल के संचालन करने वालों के लिए स्पष्ट प्रावधान है कि वहां कार्यरत कर्मियों की डिग्री और अनुभव से जुड़े दस्तावेजों की जांच करा लें, लेकिन अधिकतर अस्पतालों में इसी तरह के झोलाछाप चिकित्सक मरीजों के इलाज में लगे हैं।
मेडिकल कॉलेज से लेकर विक्टोरिया अस्पताल तक जुड़ा तार
STF ने 2 जून को प्रकरण में नागपुर में पदस्थ डॉक्टर संगीता पटेल को पकड़ा था। उसने 3 इंजेक्शन 54 हजार रुपए में नीरज साहू को बेचे थे। रविवार 27 जून को STF ने इस मामले में विक्टोरिया अस्पताल की डॉक्टर के ड्राइवर आंनद पटेल और राहुल उर्फ जतिन सेन को दबोचा था। दोनों पर आरोप है कि वे मेडिकल कॉलेज में कम्प्यूटर ऑपरेटर अरुण उर्फ राहुल विश्वकर्मा की मदद से आठ अनुदान वाले रेमडेसिविर इंजेक्शन विक्टोरिया से निकलवा कर 25 हजार रुपए में नरसिंहपुर व छिंदवाड़ा में बेचा था।
इस तरह करते थे फर्जीवाड़ा
राहुल विश्वकर्मा चिकित्सकों की सील वाली OPD पर्ची चुरा लेता था। उस पर डॉक्टर का फर्जी हस्ताक्षर कर वे रेमडेसिविर इंजेक्शन का डिमांड तैयार करते थे। मेडिकल में भर्ती दूसरी बीमारी वाले मरीजों का आधार कार्ड लगाकर वे उक्त डिमांड पर्ची राहुल सेन के माध्यम से आनंद पटेल को देते थे। आंनद पटेल की विक्टोरिया अस्पताल की महिला डॉक्टर का ड्राइवर होने की वजह से स्टोर तक सीधी पहुंच थी। उसे एक इंजेक्शन के एवज में 3 हजार रुपए मिलते थे। टीम ने उसके घर से सात डिमांड पर्ची और आधार कार्ड जब्त किए हैं। स्टॉक न होने की वजह से वह इंजेक्शन नहीं निकलवा पाया था।