भोपाल। मुंबई की तीरा कामत, गोरखपुर की परी, मेरठ की ईशानी के बाद मप्र की आर्या को भी दुनिया की दुर्लभ बीमारियों में से एक स्पाइनल मस्क्युलर अट्रॉफी टाइप-1 (एसएमए) है। इसका इलाज अमेरिका से आने वाले जोल्गेन्स्मा इंजेक्शन से ही हो सकता है। इसकी कीमत 16 करोड़ रु. है, जिस पर छह करोड़ रु. टैक्स अलग से लगता है। आर्या अभी छह साल की है और उसके पिता आबुधाबी में काम करते हैं।
परिवार आर्थिक रूप से इतना मजबूत नहीं है कि 16 करोड़ रु. की रकम जुटा सके। इसलिए परिवार का हर सदस्य कहीं न कहीं मदद ढूंढ रहा है। आर्या के पिता सोशल मीडिया के जरिए क्राउड फंडिंग की कोशिश कर रहे हैं तो मां आस्था पाठक और चाचा भोपाल में सीएम, कलेक्टर से मदद मांग रहे हैं।
जब एक साल की थी, तब अपने पैरों पर खड़े होते ही गिर जाती थी
आर्या के चाचा कोलार निवासी ऋषि पाठक सोमवार को कलेक्टोरेट, मुख्यमंत्री कार्यालय में मदद ढूंढने पहुंचे थे। उन्होंने आर्या की मेडिकल रिपोर्ट्स मुख्यमंत्री कार्यालय में दिए हैं। मां आस्था के मुताबिक उनके पति राहुल जबलपुर से हैं। अभी आबुधाबी में नौकरी कर रहे हैं। आर्या जब एक साल की थी, तब वो आम बच्चों की तरह खड़ी होने की कोशिश करती थी, लेकिन मुंह के बल गिर जाती थी।
शुरुआत में लगता था कि धीरे-धीरे वो चलना- फिरना शुरू कर देगी। खड़ी होने लगेगी। लेकिन, ऐसा जब नहीं हुआ तो हम पहले जबलपुर मेडिकल कॉलेज, फिर दिल्ली के गंगाराम में इलाज कराने पहुंचे। यहां जांच के बाद आर्या में स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी नामक बीमारी मिली। कुछ साल तक उसका इलाज वहीं चलता रहा। लेकिन अब बच्ची की जान बचाने के लिए जोल्गेन्स्मा इंजेक्शन हर हाल में जरूरी है। इसलिए प्रदेश सरकार से मदद के लिए अर्जी लगाई है।
10 लाख में किसी एक को होती है ये बीमारी : यह बीमारी 10 लाख लोगों में से किसी एक को होती है, इसका इलाज जीन थैरेपी से होता है। इसे अब तक का सबसे महंगा वन-टाइम ट्रीटमेंट माना जा सकता है। इससे पीड़ित बच्चों की उम्र बहुत ज्यादा नहीं होती है। कई बच्चे तो 10 से 15 साल तक की उम्र में दुनिया छोड़ देते हैं। अमेरिका में हर साल ऐसे 60 बच्चे पैदा होते हैं।