भिंड: मध्य प्रदेश के भिंड जिले में आशा कार्यकर्ता पिछले 26 दिनों से धरना प्रदर्शन कर रही हैं. यह आंदोलन अब एक अलग रूप ले चुका है. इसी क्रम में रविवार को जिला अस्पताल परिसर में बैठीं आशा-ऊषा सहयोगिनी कार्यकर्ताओं ने स्थायी और शासकीय कर्मचारी घोषित किए जाने की मांग को लेकर पेड़ पर चढ़ कर अनोखा प्रदर्शन किया. साथ ही भूख हड़ताल की घोषणा करते हुए मांगे पूरी ना होने पर आत्मदाह की धमकी के साथ-साथ पेड़ से कूदकर जान देने की भी चेतावनी दी.
1 जून से हैं हड़ताल पर
कोरोना काल में फील्ड में गांव-गांव सर्वे करने वाली एनएचएम की आशा-ऊषा सहयोगी और कार्यकर्ताएं बीते एक जून से धरने पर बैठीं हैं. लेकिन अब तक सरकार की ओर से उन्हें कोई भी आश्वासन नहीं मिला है. अपनी मांगों को लेकर आशा-ऊषा वर्कर दो बार राज्य मंत्री ओपीएस भदौरिया का घेराव भी कर चुकी हैं.
मंत्री से मुलाकात के दौरान आशा-ऊषा वर्कर को 24 घंटे में हड़ताल खत्म करने के साथ धमकी भी दी जा चुकी है. बावजूद आशा-ऊषा वर्कर अपनी मांग पर अडिग हैं और पेड़ पर चढ़कर भूख हड़ताल की धमकी दीं.
आशा कार्यकर्ता की भिंड जिला उपाध्यक्ष वर्षा शर्मा का कहना है कि उनके साथ सरकार न्याय नहीं कर रही है. एक मजदूर को भी 300-400 रुपए प्रति दिन मेहनताना मिलता है. लेकिन हमेशा फील्ड पर रहने वाली आशा-ऊषा को सरकार और विभाग से अनुदान के नाम पर सिर्फ़ 33 रुपए मिलते हैं. जबकि उनसे काम सरकारी कर्मचारियों से ज़्यादा लिया जाता है. ऐसे में उन्हें सरकारी कर्मचारी घोषित कर सभी योजना और सुविधाओं का लाभ दिखा जाना चाहिए.
वहीं, पेड़ पर चढ़ी कार्यकर्ताओं का कहना है कि जब तक सरकार इस सम्बंध में आश्वासन देकर आदेश जारी नहीं करती है और वह आदेश उनके हाथ तक नहीं आता है, तब तक वे ऐसे ही भूखे-प्यासे पेड़ पर अनिश्चितक़ालीन बैठीं रहेंगी.