शिवपुरी. दुबई से लौटे पेट्रोलियम इंजीनियर दीपक शर्मा कोराना पॉजीटिव पाए गए थे। अब ये इलाज के बाद बीमारी से उबर चुके हैं और 4 अप्रैल को घर भी पहुंच गए। लेकिन, इस बीच दीपक के घर के बाहर एक बोर्ड टांग दिया गया। इस बोर्ड पर लिखा गया है- यह मकान बिकाऊ है।
इस संबंध में दीपक ने बताया कि मेरे बीमार होकर घर लौटने के बाद पिता ने मकान बेचने का निर्णय लिया है। पिता ने घर के बाहर तख्ती टंगवा दी है। दीपक का कहना है कि मुझे कोरोना हुआ, यह किसी को भी हो सकती है। इसलिए किसी को किसी के साथ बुरा बर्ताव नहीं रखना चाहिए, बल्कि मुश्किल दौर में हौसला बढ़ाने का काम करना चाहिए। जिस दिन मैं ठीक होकर लौट रहा था उसी दिन से लोग मुझे ऐसे देख रहे थे जैसे मैं हत्या का अपराधी हूं। सोचा कुछ दिन में सब ठीक हो जाएगा। कुछ नहीं बदला, लोग मुझसे और परिवार से बुरा बर्ताव करने लगे है। हमारा पूरा परिवार आत्मग्लानि से घिर गया है।
‘दूध और सब्जी देने वालों को घर आने से रोका जाता है’
दीपक बताते हैं कि अब डिप्रेशन जैसा महसूस होने लगा। जो लोग हमारे घर आते-जाते थे वे हमें दरवाजे पर खड़ा देखकर अपने गेट बंद कर लेते हैं। अब मोहल्ले के लोग उन्हें परेशान कर रहे हैं। दीपक कहते हैं कि लोग जहां रहते हैं वहां उसका सबसे ज्यादा शुभचिंतक पड़ोसी ही होता है। लेकिन, जब पड़ोसी का व्यवहार खराब हो जाए तो और हालात चिंताजनक हो जाते हैं। हमारे पड़ोसियों ने भी ऐसा ही किया है। अब अति हो गई है। वह एक पड़ोसी का नाम लेकर कहते हैं- वे ट्यूशन पढ़ाते हैं, वह दूधवाले और सब्जी वाले से हमारे घर जाने से मना कर रहे हैं। दूध वाले से उन्होंने कहा- उनके बर्तन मत छूना, वायरस पकड़ लेगा। उनके यहां दूध मत दो। इसके बाद हमारी मां जिस रास्ते से जाती हैं, वे कहते हैं कि इस रास्ते से मत चलो, उनके कदम जहां पड़ रहे हैं उस जगह पर पैर मत रखो, नहीं तो वायरस पकड़ लेगा।
पिता ने कहा- पड़ोसी रात में आकर दरवाजा पीटते हैं
दीपक के पिता सेवानिवृत्त एएसआई जानकी प्रसाद शर्मा ने बताया कि ये लोग चाहते हैं कि किसी तरह हम लोग यहां से चले जाएं। फिर हमारा मकान ये लोग अपने ही किसी परिचित को दिला दें। लोग रात काे आकर हमारे घर का दरवाजा पीटते हैं, परेशान करते हैं ताकि हम यहां से चले जाएं।
ग्वालियर शिफ्ट होना चाहते हैं दीपक
दीपक ने कहा कि अभी तो मैं यहां हूं, जब स्थिति सामान्य हो जाएगी तो फिर अपने काम पर दुबई चला जाऊंगा। इसके बाद माता-पिता यहां कैसे रह पाएंगे। इसलिए मकान बेचने का फैसला लिया है। जैसे ही मकान बिक जाएगा, हम ग्वालियर चले जाएंगे। वहां रहने का निर्णय पूरे परिवार ने किया है। हालांकि वह मूलत: कोलारस के रहने वाले हैं। कोलारस में पुस्तैनी मकान और खेती की जमीन भी है।