इंदौर। इंदौर की 12 साल की सिमी के पास एक ही फेंफड़ा है। जन्म से ही उसका एक हाथ नहीं है। जिंदा रहने के लिए वह हर रोज एक-एक सांस के लिए लड़ती है। 4 साल से हर रात उसे ऑक्सीजन लगती है, लेकिन उसके हौसले के आगे कोरोना भी पस्त हो गया है। एक समय उसका ऑक्सीजन लेवल 50 पर पहुंच गया, पर उसने हार नहीं मानी।
शहर की सांघी कॉलोनी में रहने वाले इलेक्ट्रिक व्यवसायी अनिल दत्त की सिमी (12) दूसरे नंबर की बेटी है। 2008 में सिमी गर्भ में थी, तब अस्पताल में सोनोग्राफी हुई थी। डॉक्टर्स ने रिपोर्ट में सबकुछ अच्छा बताया था। लेकिन 2009 में सिमी का जन्म हुआ, तो परिवार में मायूसी छा गई। उसका बायां हाथ नहीं था। रीढ़ की हड्डी फ्यूज थी और किडनी भी अविकसित थी और फिर 8 साल बाद एक फेफड़ा भी पूरी तरह सिकुड़ गया।
जन्म के समय से ही सिमी का एक हाथ नहीं है।
फेफड़ा सिकुड़ने की वजह से सिमी का ऑक्सीजन लेवल 60 तक पहुंच जाता है। उसे हर रोज रात में ऑक्सीजन लगाई जाती है। जब कोरोना संक्रमण फैला तो माता-पिता ने उसका बहुत ध्यान रखा, लेकिन कुछ समय बाद मां अंजू संक्रमण की चपेट में आ गई। कुछ दिन बाद सिमी भी संक्रमित हो गई। वह एसिम्टोमैटिक (सामान्य लक्षण) थी। तब उसका ऑक्सीजन लेवल 50 तक चला गया था।
इस दौरान परिवार ने डॉ. मुथीह पैरियाकुप्पन (अब चेन्नई में) से कंसल्ट किया। घर में ही बच्ची को बायपेप और ऑक्सीजन लगाई। कई दिनों तक वह इसी स्थिति में रही। लेकिन उसने हौसला नहीं हारा और 12 दिन बाद कोरोना से भी जंग जीत ली। फिर उसने डॉक्टर के बताए अनुसार एक्सरसाइज भी शुरू की है। अब स्थिति यह है कि कई बार उसे ऑक्सीजन और बायपेप की जरूरत होती है लेकिन उसका हौसला बरकरार है।
जिंदगी भर ऑक्सीजन लेनी होगी
सिमी देहली वर्ल्ड पब्लिक स्कूल (डीडब्ल्युपीएस, शिप्रा) में 7वीं में पढ़ती है। उसे जीने के लिए जिंदगी भर ऑक्सीजन लेनी होगी। ज्यादा दिक्कत होने पर कई बार उसे बायपेप भी लगाया जाता है।