जबलपुर। मध्यप्रदेश के जबलपुर में अजब-गजब मामला सामने आया है। प्रांतीय शिक्षण महाविद्यालय (पीएसएम ) में प्राचार्य ने तीन मृत शिक्षकों को पढ़ाने का प्रशिक्षण देना बता दिया। बाकायदा इनकी उपस्थिति दर्शाते हुए वेतन पत्रक भी जारी कर दिया गया। मामला उजागर हुआ, तो प्राचार्य ने इसे मानवीय भूल बता कर पल्ला झाड़ लिया। अब प्राचार्य आरके स्वर्णकार के खिलाफ कार्रवाई की मांग उठ रही है। तीनों टीचर्स की मौत कोरोना काल की दूसरी लहर में हुई।
प्रांतीय शिक्षण महाविद्यालय में कभी रद्दी बेचने तो कभी भवन निर्माण में धांधली के मामले उठते रहे हैं। यहां शिक्षकों को छात्रों को पढ़ाने का गुर सिखाया जाता है। ये ट्रेनिंग सरकार कराती है। वर्तमान में यहां 470 शिक्षक ट्रेनिंग ले रहे हैं।
ये वेतन पत्रक जारी किया गया था।
वेतन पत्रक जारी होने के बाद हुआ खुलासा
प्रांतीय शिक्षण महाविद्यालय में पूर्व में प्रशिक्षण ले रहे तीन शिक्षकों की कोविड से मौत हो गई। बावजूद ट्रेनिंग सेंटर ने ऑनलाइन प्रशिक्षण में शामिल दिखाकर उपस्थित का प्रमाण पत्र जारी कर दिया। इसके बाद जमकर बवाल मचा है। दरअसल, प्रशिक्षण लेने वाले शिक्षकाें का वेतन बनता है। तीनों मृत शिक्षकों गंगाराम रजक, धनपत सिंह ठाकुर, दुर्गा विसेन व एक अन्य का वेतन पत्रक बन गया। हालांकि वेतन जारी होने से पहले ही इसका खुलासा हो गया।
प्रशिक्षण ले रही दुर्गा बिसेन का मृत्यु प्रमाण पत्र।
मौत होने के बाद भी ऑनलाइन क्लास में शामिल हुए
प्रांतीय शिक्षण महाविद्यालय में दो साल का प्रशिक्षण दिया जाता है। 15 अप्रैल से 16 मई के बीच तीनों शिक्षकों की उपस्थिति वेतन पत्रक में दर्शायी गई है, जबकि शिक्षक गंगाराम रजक की 17 अप्रैल, दुर्गा बिसेन की 26 अप्रैल और धनपत सिंह ठाकुर की 3 मई की कोरोना के चलते मौत हाे चुकी है। इसके पहले वे कोविड से बीमार होकर अस्पताल में भी भर्ती हुए होंगे, लेकिन कहीं सीएल या मेडिकल नहीं दर्शाया गया है। एक शिक्षक का 40 से 50 हजार के लगभग वेतन जारी होता है।
प्रशिक्षण लेने वाले धनपत सिंह ठाकुर का मृत्यु प्रमाण पत्र।
प्रशिक्षण में उपस्थिति पर पांच नंबर मिलते हैं
शिक्षक कर्मचारी नेता मुकेश सिंह के मुताबिक नियम है, दिन में चार पीरियड है, तो तीन में शामिल होने पर ही पूरे दिन का वेतन बनता है। दो पीरियड में शामिल हुए, तो आधे दिन का वेतन बनता है। इसी तरह सीएल, मेडिकल आदि भी शिक्षक लेते रहते हैं, उसका भी जिक्र होना चाहिए। यहां सभी को उपस्थित दर्शा दिया जाता है। उपस्थिति पर भी 5 नंबर मिलते हैं। नियम है कि पढ़ाने वाले शिक्षक वेतन पत्रक तैयार कर प्राचार्य को भेजते हैं। वहां से हस्ताक्षर कर इसे संकुल भेजा जाता है। तब प्रशिक्षण ले रहे शिक्षकों का वेतन जारी होता है।
गंगाराम रजक का मृत्यु प्रमाण पत्र।
कलेक्टर-सभांगायुक्त से प्राचार्य के खिलाफ कार्रवाई की मांग
मामले की शिकायत कलेक्टर और संभागायुक्त से भी की गई है। प्रकरण में पीएसएम के प्राचार्य आरके स्वर्णकार के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई है। मप्र तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ के प्रांतीय अध्यक्ष योगेंद्र दुबे ने सीधे प्राचार्य पर आरोप लगाए। कहा कि इसके पूर्व में भी वे जबलपुर में रह चुके हैं। तब भी उनके भ्रष्टाचार के कारनामे उजागर हो चुके हैं। इसी तरह ग्वालियर पदस्थापना के दौरान भी उन पर अनियमितता के आरोप लग चुके हैं।
पीएसएम प्राचार्य आरके स्वर्णकार।
वेतन पत्रक बनाने वाले से मांगा स्पष्टीकरण
कॉलेज के प्राचार्य आरके स्वर्णकार ने कहा कि उन्होंने वेतन पत्रक बनाने वाले से स्पष्टीकरण मांगा है। इस तरह की मानवीय भूल नहीं होना चाहिए। वेतन पत्रक बनाने से पहले देखना चाहिए था। कोरोना के चलते अभी ऑनलाइन प्रशिक्षण दिया जा रहा है। कई बार नेटवर्क के कारण भी विसंगति हो जाती है। एक साथ 470 शिक्षकों का प्रशिक्षण होता है। भविष्य में इस तरह की चूक न हो, इसकी भी व्यवस्था सुनिश्चित करा रहे हैं।