मध्यप्रदेश में कोरोना की दूसरी लहर पर ब्रेक लगा है। विशेषज्ञों ने अगले 4 से 6 सप्ताह में तीसरी लहर आने की आशंका जताई है। इसमें बच्चे चपेट में आ सकते हैं। स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक कोरोना काल में प्रदेश में 53 हजार से ज्यादा बच्चे संक्रमित हो चुके हैं। इसमें से 10 साल तक के बच्चों की संख्या 17 हजार 363 बच्चे हैं। लिहाजा कोरोना की दूसरी लहर में ऑक्सीजन संकट को देखते हुए प्रदेश के 13 मेडिकल कॉलेज के अस्पतालों में 1 हजार ऑक्सीजन कंसंट्रेटर स्थापित किए जाएंगे। 94 ऑक्सीजन प्लांट बनवाए जा रहे हैं।
मप्र में 595 मीट्रिक टन निजी क्षमता के अलावा सरकारी अस्पतालों में 323 मीट्रिक टन लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन (एलएमओ) भंडारण क्षमता है। सरकार उन व्यक्तियों को भी अनुदान दे रही है जो राज्य में ऑक्सीजन प्लांट लगा चाहते हैं। प्रदेश के सभी जिला अस्पतालों के लिए 4500 ऑक्सीजन कंसंट्रेटर अभी से पहुंचा दिए हैं। इसमें से 2500 केंद्र सरकार ने भेजे हैं।
छोटे जिलों में ऑक्सीजन बेड बढ़ाए जाएंगे
सरकारी दावे के अनुसार मंडला, डिंडोरी, बालाघाट, सिवनी एवं नरसिंहपुर जिले में ऑक्सीजन कोविड केयर सेंटर बनाए जाएंगे। इनमें मंडला और बालाघाट में 100 बेड, डिंडाैरी में 50 बेड, सिवनी में 60 बेड तथा नरसिंहपुर में 40 बेड के सेंटर बनाए जा रहे हैं। इन पर ऑक्सीजन लाइन की सुविधा के अलावा हर बेड पर अधिक क्षमता के ऑक्सीजन कंसन्ट्रेटर रहेंगे। कुल 50 वेंटीलेटर्स भी लगेंगे।
पहले चरण में बढ़ेंगे 1267 बेड्स, 767 ICU बेड होंगे तैयार
तीसरी लहर की आशंका से पहले प्रदेश भर के कोविड अस्पतालों में बेड और ICU वार्डों की संख्या बढ़ाई जा रही है। 13 मेडिकल कॉलेजों के अस्पतालों में पहले चरण में 1267 बेड बढ़ाए जा रहे हैं। 767 ICU और HDU बेड भी बढ़ाए जाएंगे।
वैक्सीनेशन में अन्य राज्यों के सीमाओं से लगे गांवों को प्राथमिकता
प्रदेश में वैक्सीनेशन अभियान 3 जुलाई तक निरंतर जारी रहेगा। तीसरी लहर की आशंका को देखते हुए सरकार ने तय किया है कि महाराष्ट्र, उत्तरप्रदेश, राजस्थान और गुजरात की सीमा से लगे गांवाें में प्राथमिकता से वैक्सीनेशन किया जाएगा।
PSA प्लांट के लिए 61 करोड़ का बजट
स्वास्थ्य विभाग के सूत्रों ने बताया प्रदेश में हवा में से ऑक्सीजन तैयार करने वाले 112 प्रेशर स्विंग एड्जॉर्पशन (पीएसए) प्लांट स्थापित हो रहे हैं। सरकार ने 61 करोड़ रुपए का बजट जिलों को आवंटित किए हैं। ये प्लांट 15 अगस्त तक शुरू होने का टारगेट है। कई जिलों में ढांचा तैयार हो गया है लेकिन बिजली कनेक्शन नहीं हो पा रहा है। ये प्लांट देवास, धार, मंडला, होशंगाबाद, पन्ना, दमोह, छतरपुर, सीधी, भिंड, राजगढ़ एवं शाजापुर में लग रहे हैं।
मेडिकल कॉलेजों में विशेषज्ञों की कमी
प्रदेश के अधिकतर मेडिकल कॉलेजों में स्पेशलिस्ट की कमी है। सरकार ने पिछले माह इनकी नियुक्ति की जिम्मेदारी संभागों के आयुक्तों को दे दी थी। स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव मोहम्मद सुलेमान ने शनिवार को आयुक्तों को निर्देश दिए कि विशेषज्ञों की नियुक्ति प्रक्रिया जल्दी से जल्दी पूरी की जाए। जानकारी में आया है कि छिंदवाड़ा मेडिकल कॉलेज छिंदवाड़ा में विशेषज्ञ डॉक्टर्स के 90 और शहडोल में 87 पद अब भी रिक्त पड़े हैं।
ग्रामीण क्षेत्रों के लिए इंतजाम
प्रदेश में अब हर रोज 80 हजार रोज टेस्ट किए जाएंगे। किल कोरोना अभियान और वैक्सीनेशन पर फोकस रहेगा। उपनगरों, कस्बों और गांवों के मेडिकल के बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के लिए नर्सेस व पैरामेडिकल स्टाॅफ की भर्ती की जा रही है। यह प्रक्रिया जुलाई के अंत तक पूरी होने का दावा किया गया है।
लॉकडाउन हटने के बाद नई रणनीति
मध्यप्रदेश में कोरोना की दूसरी लहर से निपटने के लिए प्रदेश में जिला, ब्लॉक व गांव स्तर पर क्राइसिस मैनेजमेंट ग्रुप बनाकर करीब 6 लाख सदस्य बनाए गए हैं। यह ग्रुप समाप्त नहीं किए जाएंगे। अनलॉक की मॉनिटरिंग और आगे की रणनीति बनाने की जिम्मेदारी इन ग्रुपों को दी गई है। सरकार ने बड़े जिलों में कोविड केयर सेंटर भी बंद नहीं किए हैं। मंत्रियों की समितियां बनाई गई हैं। ऑक्सीजन प्लांट, वैक्सीनेशन, औद्योगिक गतिविधियों, मेडिकल कॉलेजों में व्यवस्थाओं को लेकर फैसले लेगी।