भोपाल| ज्योतिरादित्य सिंधिया के भाजपा में शािमल होने के 24 घंटे बाद मध्य प्रदेश की सियासत में नया चैप्टर जुड़ गया है। फ्लोर टेस्ट को लेकर कांग्रेस और भाजपा आमने-सामने हैं। भाजपा की मांग है कि 16 मार्च से शुरू हो रहे बजट सत्र के पहले ही दिन फ्लोर टेस्ट हो। कांग्रेस का कहना है कि जब तक विधायकों के इस्तीफे पर फैसला नहीं हो जाता, फ्लोर टेस्ट संभव नहीं है। इस बीच, स्पीकर एनपी प्रजापति ने बेंगलुरु से इस्तीफा भेजने वाले 19 विधायकों को व्यक्तिगत रूप से हाजिर होने को कहा है।
स्पीकर एनपी प्रजापति ने छह विधायकों को शुक्रवार, 7 विधायकों को शनिवार और बाकी बचे 9 विधायकों रविवार को उपस्थित होने को कहा है। स्पीकर ने कहा है कि हम फिजिकल वेरिफिकेशन करना चाहते हैं कि विधायकों ने स्वयं इस्तीफा दिया है न कि किसी के दबाव में आकर।
सरकार अल्पमत में, स्पीकर भाषण किसका पढ़ेंगे: भाजपा
पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि ये कांग्रेस का अंदरूनी मामला है। हमारा कोई लेना-देना नहीं है। वास्तविकता यह है कि जो सरकार अल्पमत में है, वह कैसे राज्यपाल का अभिभाषण करा सकती है। भाजपा नेता नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि प्रदेश में संवैधानिक संकट की स्थति पैदा हो गई है। राज्यपाल सदन में सरकार का अभिभाषण पढ़ते हैं। सरकार अल्पमत में है तो किसका भाषण पढ़ेंगे। राज्यपाल और विधानसभा अध्यक्ष के पास 22 विधायकों के इस्तीफे पहुंच चुके हैं। हम राज्यपाल और अध्यक्ष से निवेदन करेंगे की पहले फ्लोर टेस्ट हो फिर राज्यपाल का अभिभाषण।
दिग्विजय ने कहा- विधायकों के इस्तीफे पर फैसला होने तक फ्लोर टेस्ट नहीं हो सकता
दिग्विजय सिंह ने कहा कि कमलनाथ सरकार 'फ्लोर टेस्ट' के लिए तैयार है, लेकिन जब तक विधायकों के इस्तीफों पर फैसला नहीं होगा, फ्लोर टेस्ट कैसे होगा। जब तक विधायक स्वयं अध्यक्ष के सामने उपस्थित नहीं होंगे, इस्तीफे पर निर्णय कैसे लिया जा सकता है।