ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस पार्टी से किनारा कर भारतीय जनता पार्टी का दामन थाम लिया है। ज्योतिरादित्य सिंधिया ने शीर्ष नेतृत्व से नाराजगी की वजह से पार्टी से किनारा कर लिया। ऐसी कई जानकारियां सामने आईं थीं, जिनमें यह कहा गया था कि ज्योतिरादित्य आलाकमान से मिलना चाहते हैं, लेकिन उन्हें वक्त नहीं दिया जा रहा है। राहुल गांधी ने ऐसे किसी भी बात से किनारा कर लिया है।
समय न देने के सवाल पर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा कि ज्योतिरादित्य ही केवल ऐसे थे जो कभी भी मेरे घर आ सकते थे। वे मेरे साथ कॉलेज में भी रहे हैं। कांग्रेस में ज्योतिरादित्य सिंधिया की गिनती राहुल गांधी के सबसे करीबी नेताओं में होती थी। प्रियंका गांधी से भी ज्योतिरादित्य सिंधिया के अच्छे संबंध रहे हैं।
कभी कांग्रेस के दिग्गज नेता और राहुल गांधी करीबी रहे ज्योतिरादित्य सिंधिया ने बुधवार को जेपी नड्डा की मौजूदगी में भारतीय जनता पार्टी(बीजेपी) की सदस्यता ले ली। ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस आलाकमान पर समय न देने का भी आरोप लगाया था। ज्योतिरादित्य सिंधिया की गितनी हमेशा से कांग्रेस पार्टी के दिग्गज नेता के तौर पर होती रही है।
राहुल गांधी से रहे हैं पुराने संबंध
कांग्रेस नेता राहुल गांधी के साथ ज्योतिरादित्य सिंधिया के पुराने संबंध रहे हैं। लोकसभा के बाहर और भीतर भी दोनों नेता साथ देखे जाते थे। मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव प्रचार की बात हो या लोकसभा चुनावों की रैलियां हर जगह दोनों नेता साथ देखे जाते थे। ज्योतिरादित्य सिंधिया के अलावा सचिन पायलट की भी गितनी पार्टी राहुल गांधी के करीबी नेताओं में होती है। अलग बात है कि अब राजनीतिक राहें राहुल गांधी के साथ ज्योतिरादित्य ने अलग कर लीं हैं।
13 दिसंबर 2018 की एक तस्वीर भी राहुल गांधी ने ट्वीट की है। राहुल गांधी के उस ट्वीट में लिखा है दो महत्वपूर्ण योद्धा समय और धैर्य हैं। इस तस्वीर में राहुल गांधी के साथ ज्योतिरादित्य और सीएम कलनाथ नजर आ रहे हैं।
2018 में शुरू हुई थी तकरार
ज्योतिरादित्य सिंधिया मध्य प्रदेश के साथ-साथ राष्ट्रीय राजनीति में भी सक्रिय रहे हैं। लोकसभा चुनावों से लेकर अलग-अलग राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों में भी ज्योतिरादित्य सिंधिया स्टार प्रचारकों में शामिल रहते थे। साल 2018 में हुए मध्य प्रदेश विधानसभा चुनावों के बाद से ही ज्योतिरादित्य सिंधिया की नाराजगी रह-रहकर सामने आने लगी थी।
ज्योतिरादित्य सिंधिया भी खुद को मुख्यमंत्री उम्मीदवार के तौर पर देख रहे थे। कमलनाथ भी मुख्यमंत्री पद की दावेदारी पेश कर रहे थे। कई घंटों तक चली उठा-पटक के बाद कमलनाथ को मध्य प्रदेश की कमान मिल गई थी। तब से ही ज्योतिरादित्य सिंधिया की पार्टी आलाकमान से नाराजगी सामने आने लगी थी।
'पहले वाली पार्टी नहीं रही कांग्रेस'
जेपी नड्डा के साथ प्रेस कॉन्फ्रेंस में ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि कांग्रेस में जो आज स्थिति पैदा हुई है, वहां जनसेवा के लक्ष्य की पूर्ति उस संगठन के माध्यम से नहीं हो पा रही है। इसके अतिरिक्त वर्तमान में जो स्थिति कांग्रेस पार्टी में है, वो अब पहले वाली पार्टी नहीं रही है।
बीजेपी में शामिल होते हुए सिंधिया ने कहा कि कांग्रेस पार्टी वास्तविकता से इनकार कर रही है, नए नेतृत्व-नए विचार को नकार रही है। सिंधिया ने कहा, इस वातावरण में राष्ट्रीय स्तर पर जो स्थिति हो चुकी है, वहीं मध्य प्रदेश में भी राज्य सरकार सपने पूरे नहीं कर पाई है.
'कांग्रेस के साथ नहीं हो सकती जनसेवा'
मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार पर निशाना साधते हुए ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि 2018 में हम एक सपना लेकर आए थे, लेकिन उन सपनों को पूरा नहीं किया गया। मध्य प्रदेश में कांग्रेस सरकार ने वादे पूरे नहीं किए हैं। कांग्रेस में रहकर जनसेवा नहीं की जा सकती।