जानिए- हिंसा के 15 दिन बाद कैसा है उत्तर पूर्वी दिल्ली की गलियों का हाल

Posted By: Himmat Jaithwar
3/12/2020

यमुना विहार पहुंच कर पहली बार मैंने कालिख देखी।दंगों की कालिख। जली हुईं दुकानें। भजनपुरा में जिस पेट्रोल पंप को जला दिया गया है, वहां आज भी खड़े होने में डर लगता है। पुलिस ने पेट्रोल पंप के बाहर बैरिकेडिंग कर दी है। इस पंप में आग की लपटों की कल्पना ही सिहरन पैदा कर रही थी।

दिल्ली हिंसा के बाद राजधानी फिर से पटरी पर दौड़ पड़ी है। आम लोग रोजमर्रा की तरह अपने घरों से निकल रहे हैं और बाजारों में पहले जैसी रौनक वापस लौट चुकी है। लेकिन अब भी उत्तर-पूर्वी दिल्ली के इलाकों में हिंसा के निशान बाकी हैं। अब हिंसा ग्रस्त जाफराबाद हो या गोकुलपुरी, बाबरपुर हो या मौजपुर, जिंदगी ने यहां फिर रफ्तार पकड़ ली है। मेट्रो ट्रैक के नीचे की सड़क पर शोरगुल वही पुराना है, दिमाग जिनका आदी हो चुका है। मेट्रो के बगल-बगल नाला भी गुजरता है...बजबजाता सा...काला...इसी नाले के किनारे दोनों ओर एक पूरा शहर बसता है।

दिल्ली के हिंसा प्रभावित इलाकों का जायजा लेने बुधवार को अकेले ही निकल पड़ा था। कड़कड़डूमा से वेलकम पहुंचते-पहुंचते घरों का घनत्व बेहिसाब बढ़ गया था। बेतरतीब मकान...मकान ही मकान...कोई तीन मंजिला...कोई चार मंजिला. एक दम पास...एक दूसरे से बातें करते कमरे. बीच-बीच में मस्जिदों की मीनारें भी दिख रही थीं।



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