लॉकडाउन के पहले दो सप्ताह में रेलवे हेल्पलाइन पर पूछे गए 2 लाख से ज्यादा सवाल, ज्यादातर यात्रियों ने पूछा- 'ट्रेनें कब चलेंगी?'

Posted By: Himmat Jaithwar
4/12/2020

नई दिल्ली. देशव्यापी लॉकडाउन 14 अप्रैल तक है। हालांकि कोविड-19 महामारी के बढ़ते प्रकोप के चलते लाॅकडाउन को आगे बढ़ाया जा सकता है लेकिन इस पर कोई आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है। 21 दिनों की लाॅकडाउन के दौरान परिवहन सेवा पूरी तरह ठप है। इस दौरान लोगों की बेचैनी यह जानने को लेकर है कि ट्रेनों का परिचालन देश में कब शुरू होगा। रेलवे की ओर से जारी हेल्पलाइन नंबरों पर करीब 14 दिनों में करीब दो लाख कॉल आए हैं, जिसमें सबसे अधिक लोगों ने ट्रेनों का परिचालन शुरू होने और टिकट वापसी के बारे में ही जानकारी मांगी है। लॉकडाउन के पहले दो सप्ताह में इस रेल नियंत्रण कार्यालय के संचार प्लटेफार्म के जरिए 2,05,000 से अधिक यात्रियों के सवालों का जवाब दिया गया। इसमें से 90 प्रतिशत (1,85000) मामले फोन पर व्यक्तिगत तौर पर बातचीत के जरिए निपटाए गए।


रेलवे ने जारी की हेल्पलाइन नंबर
बता दें कि लाॅकडाउन के शुरूआती दौर में ही यात्रियों की सुविधा के लिए रेलवे ने हेल्पलाइन नंबर 139 और 138 जारी किया था। वहीं सोशल मीडिया पर ईमेल आइडी भी जारी किया था। रेलवे हेल्पलाइन नंबर के जरिए 24x7 यात्रियों की मदद कर रहा है। रेल नियंत्रण कार्यालय को बेहतद ढंग से चलाने के लिए निदेशक स्तर के अधिकारियों को नियुक्त किया गया है। ये अधिकारी सोशल मीडिया और ईमेल पर लोगों द्वारा प्राप्त प्रतिक्रियाओं और उनके सुझावों पर नजर रख रहे हैं।


स्थानीय भाषा में कर रहे हैं समस्या का समाधान
रेल की हेल्पलाइन नंबर 139 पर लॉकडाउन के पहले दो सप्ताह में 1 लाख 40 हजार से अधिक यात्रियों के सवाल के जवाब दिए गए। ज्यादातर यात्री ट्रेन सेवाएं शुरु होने को लेकर और टिकट वापसी के नियमों के बारे में सवाल पूछ रहे हैं। फोन आने पर कर्मचारी व्यक्तिगत तौर पर उनके भाषा में समस्या का समाधान कर रहे हैं। हेल्पलाइन 138 पर प्राप्त कॉल जियो-नेटवर्क के साथ टैग की गई है। यदि कोई कॉल इस नंबर पर निकटतम रेलवे डिविज़नल कंट्रोल ऑफ़िस पर आती है तो वहां तैनात रेल कर्मी, जो कि स्थानीय भाषा से अच्छी तरह से वाकिफ हैं सवाल का जवाब उसी भाषा में देते हैं। जवाब देने वाला रेल कर्मी यह सुनिश्चित करता है कि जिस भाषा में सवाल किया गया है उसका जवाब भी उसी भाषा में दिया जाए।यह सुविधा रेलवे के ग्राहकों के लिए सूचनाओं के प्रवाह को तेज बनाती है।



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