जबलपुर: जबलपुर का शातिर नटवरलाल यानी कि केबीसी उर्फ कमरुद्दीन की गिरफ्तारी के बाद लगातार उसके खिलाफ शिकायतें दर्ज हो रही है. केबीसी के खिलाफ अब तक 6 से अधिक एफआईआर दर्ज की गई है और 1 दर्जन से अधिक शिकायती आवेदन पुलिस ने लिए हैं. ऐसे में उसे चार दिन की पुलिस रिमांड पर भेजा जा रहा है.
जबलपुर पुलिस ने बताया कि आरोपी कमरुद्दीन के खिलाफ अब तक जबलपुर और अन्य कई दूसरों शहरों में भी कई मामले दर्ज है. ऐसे में जिस तरह से आरोपी ने लोगों के साथ ठगी को अंजाम दिया था. ऐसे में कई मामलों में बड़े खुलासे हो सकते हैं. क्योंकि कमरुद्दीन नए-नए अंदाज में लोगों के साथ ठगी की वारदात को अंजाम देता था.
जबलपुर का नटवरलाल
एडिशनल एसपी रोहित काशवानी ने बताया कि केबीसी को 4 दिन की पुलिस रिमांड पर फिर से लिया है. पुलिस को उम्मीद है कि 4 दिन की रिमांड के दौरान मामले से जुड़े हुए कई तथ्य सामने आ सकते हैं. इसके अलावा करोड़ों की ठगी करने वाले इस शातिर नटवरलाल के बैंक अकाउंट को भी पुलिस द्वारा सीज कराया जा रहा है और इसके ठिकानों पर भी तफ्तीश शुरू की गई है. जिसके जरिए ठगी की गई रकम की जानकारी जुटाई जा सके.
कौन है ये शातिर ठग
पुलिस हथकड़ी से बंधा मुंह पर शर्म के चलते कपड़ा बांधा हुआ यह शातिर नटवरलाल कौन है? यह सवाल आपके भी जहन में उठ रहा होगा तो आइए आपको बताते है कौन है यह शातिर जालसाज नटवरलाल
नाम- केबीसी उर्फ़ कमरुद्दीन
लोगों मे चर्चित नाम जबलपुर का नटवरलाल
काम- लोगो के साथ ठगी और जालसाजी करना.
अभी तक प्लॉट मकान दिलाने के नाम पर कर चुका है करोड़ो की ठगी.
एक दर्जन से ज्यादा पुलिस थाने का मोस्ट वांटेड ठग रहा.
आधा सैकड़ा से ज्यादा धारा 420 के मामलों के साथ अन्य रिकॉर्ड अपराध.
3 हजार का इनामी ठग.
अब आप समझ ही गए होंगे कि आखिर कितना शातिर है यह केबीसी उर्फ कमरुद्दीन जो अब पुलिस की हवालात में कैद हो गया है. इस शातिर नटवरलाल ने आधा सैकड़ा से ज्यादा लोगों को अपनी ठगी का शिकार बनाया है. बदमाश केबीसी पहले लोगो को सस्ते में मकान प्लॉट दिलवाने का सपना दिखाता फिर उनकी जीवन भर की पूंजी को लेकर रफ्फूचक्कर हो जाता था. ऐसे में लोगों के हाथ न खुद का आशियाना होता था और न ही जमीन पर अपना खूबसूरत आशियाना बनाने की उम्मीद. बस होता था दुख ओर पछतावा.
कमरुद्दीन की गिरफ्तारी आनंद नगर सरफाबाद निवासी मोहम्मद शफीक की शिकायत पर हुई. शफीक ने दर्ज कराई थी कि 9 नवंबर 2018 को केबीसी कंस्ट्रक्शन के संचालक कलीमुद्दीन से 9 लाख रुपये कीमत का डुप्लैक्स पत्नी के नाम पर लिया था. 7 लाख रुपये दे दिए थे। बाकी 2 लाख रुपये डुप्लैक्स पर कब्जा मिलने के चार महीने के अंदर देना था.