मध्यप्रदेश 1 जून से अनलॉक हो चुका है, पर कुछ जिलों में कोरोना से मौतें अब भी बेकाबू हैं। सागर में कोरोना की दूसरी लहर में लॉकडाउन के दौरान 50 दिन में 123 मौतें हुई हैं, यानी औसतन रोजाना 2 से 3 मौतें। अनलॉक के 17 दिन में 70 मौतें हुई हैं। यानी हर दिन 4 मौतें हुई हैं। सागर के बाद इन 17 दिनों में जबलपुर में 42 की जान गई है। रीवा-राजगढ़ और बैतूल में 31-31 मौतें हुई है। यह आंकड़ा इंदौर, भोपाल जैसे बड़े शहरों से काफी ज्यादा है। राहत की बात यह है कि इन 17 दिनों में उज्जैन समेत 7 शहरों में मौतों का आंकड़ा शून्य रहा है।
सागर में मौत का ऐसा खेल
सागर में जिला प्रशासन मौत के अधिकृत आंकड़े जारी करने के बजाय बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज के मौत के आंकड़े बता रहा है। इसमें आसपास के जिलों की मौतें भी शामिल हैं। इसमें वह सागर में स्थिति सामान्य बतात रहा लेकिन मध्यप्रदेश सरकार के बुलेटिन ने उसकी पोल खोल दी है। जब इस मामले में दैनिक भास्कर ने कलेक्टर दीपक सिंह से पूछा तो उन्होंने चुप्पी साध ली है। सीएमएचओ यही कहते रहे कि याद नहीं है। देखकर बताऊंगा। दोनों का इस बारे में कोई जवाब नहीं आया। सवाल यह है कि रोजाना चार मौतें हो रही हैं और अफसरों को पता नहीं है।
इन 7 जिलों में 0 मौतें
प्रदेश के 7 जिलों में राहत की बात है। यहां जून माह के 17 दिन में मौतों का आंकड़ा शून्य रहा है। इसमें उज्जैन, नीमच, छतरपुर, सिवनी, छिंदवाड़ा, गुना और खंडवा शामिल हैं।
यहां एक-एक मौत
मध्यप्रदेश के नरसिंहपुर, शहडोल, सीधी, बालाघाट, मंदसौर, दतिया, डिंडौरी और अलीराजपुर में 17 दिनाें में 1-1 मौतें हुई हैं। हालांकि नरसिंहपुर में अब भी पॉजिटिव दर 5% से ज्यादा है।
बड़े शहरों में जबलपुर में सबसे ज्यादा, इंदौर में कम
प्रदेश के 4 बड़े शहरों में जबलपुर में 42, भोपाल में 38 मौतें 1 से 17 जून के बीच हुई हैं। वहीं, ग्वालियर में 35, जबकि इंदौर में सबसे कम 31 मौतें हुई हैं। इंदौर से ज्यादा रतलाम में 32 लोगों की जान गई हैं।
रीवा में पहले हो चुकी मौतें अब बताई जा रही
रीवा में चौंकाने वाली बात यह है कि 17 दिन में 115 संक्रमित ही आए हैं, जबकि 31 लोगों की मौत हुई है। सीएमएचओ डॉ. एमएल गुप्ता ने बताया कि अचानक से बढ़ रही मौतों का कारण कोरोना नहीं है, बल्कि मुख्यमंत्री कोविड-19 बाल कल्याण योजना है। योजना से वंचित लोगों को लाभ देने के लिए कई लोगों ऐसा किया जा रहा है।
वहीं सूत्रों का कहना है कि पुरानी मौतों को जोड़ा जा रहा है। वहीं, कई केस ऐसे भी है, जिनकी रिपोर्ट तो पहले पॉजिटिव आई और वह ठीक हो गए। अचानक से उनके स्वास्थ्य में गिरावट आई और उनकी मौत हो गई। इसी बीच कराई गई जांच निगेटिव आ गई। ऐसे लोगों को मृतकों की सूची में नहीं शामिल किया गया था। वे लोग भी अब धीरे-धीरे शामिल किए जा रहे हैं।