मध्यप्रदेश में संक्रमण की दूसरी लहर के काबू में आने के बाद अब कोरोना के नए डेल्टा प्लस वैरिएंट का मामला मिलने से चिंता बढ़ गई है। भोपाल में बरखेड़ा पठानी निवासी एक 65 साल की महिला में यह वैरिएंट मिला है। कुछ दिन पहले उसके सैंपल की जांच करने के लिए भेजा गया था। अब महिला निगेटिव है और अपने घर पर है। देश में कोरोना की दूसरी लहर के लिए कोरोना के डेल्टा वैरिएंट को जिम्मेदार माना जाता है। यह पहली बार भारत में ही पाया गया। अब इसी वैरिएंट का बदला रूप डेल्टा प्लस है। इससे पहले देश में 6 डेल्टा प्लस वैरिएंट के मामले मिल चुके है। विशेषज्ञ का कहना है कि इस नए डेल्टा प्लस वैरिएंट पर मोनोक्लोनल एंटीबॉडी कॉकटेल का भी असर नहीं होगा।
कोरोना के इलाज के लिए मोनोक्लोनल एंटीबॉडी थेरेपी का उपयोग किया जा रहा है। इस थेरेपी में एक ऐसी दवा का इस्तेमाल किया जाता है, जो संक्रमण से लड़ने के लिए शरीर में प्राकृतिक रूप से बनी एंटीबॉडी की नकल करती है। हालांकि यह भी कहा जा रहा है कि डेल्टा प्लस वैरिएंट को लेकर चिंता करने की जरूरत नहीं है, क्योंकि देश में डेल्टा प्लस का संक्रमण बहुत कम है।
डेल्टा प्लस वैरिएंट पर अभी चल रही है रिसर्च
हालांकि कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि इसकी संक्रमण दर और उसके घातक होने का अभी कोई अंदाजा नहीं है। इस पर अभी रिसर्च चल रही है।
15 सैंपल भेजे गए थे जांच के लिए
गांधी मेडिकल कॉलेज (GMC) भोपाल से इस महीने 15 सैंपल जांच के लिए भेजे गए थे। जीनोम सिक्वेसिंग में महिला के सैंपल में डेल्टा प्लस वैरिएंट मिला है। साथ ही रिपोर्ट में डेल्टा और अन्य वैरिएंट भी मिले हैं। स्वास्थ्य विभाग और जिला प्रशासन की तरफ से महिला की कॉन्टेक्ट हिस्ट्री निकाली गई है। इसमें 20 लोग की पहचान की गई है, जिनकी जांच की जा रही है।
स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का कहना है कि दोपहर में रिपोर्ट फाइनल होने के बाद ही कुछ कह पाएंगे। फिलहाल इस मामले में अधिकारी नया वैरिएंट मिलने की बात कबूल कर रहे हैं। लेकिन अभी आधिकारिक रूप से कुछ भी कहने से बच रहे हैं। जिस मरीज में डेल्टा प्लस वैरिएंट की पुष्टि हुई है। महिला अब ठीक है।
घर पर ही चला इलाज
महिला के बेटे गजेंद्र चौहान ने बताया कि उनकी मां को 23 मई को कोरोना संक्रमण के लक्षण आए। इसमें बुखार के साथ शरीर में दर्द हो रहा था। उसी दिन शाम को बरखेड़ा पठानी नगर निगम के वार्ड कार्यालय- 60 में RT-PCR जांच कराई। अगले दिन रिपोर्ट पॉजिटिव आई।
गजेंद्र ने बताया कि उसके बाद उन्होंने अपने निजी डॉक्टरों से संपर्क कर ऑनलाइन सलाह लेकर इलाज शुरू कर दिया। इस बीच कोविड हेल्पलाइन से डॉक्टर मिथलेश का भी फोन आया। उन्होंने उनकी मां के ब्लड सैंपल की जांच कराई। इसमें इंफेक्शन बहुत ज्यादा था। 10वें दिन दोबारा ब्लड टेस्ट कराए। जांच रिपोर्ट में प्लेट्लेट और डब्ल्यूबीसी कम हो गए थे। साथ ही लीवर में इंफेक्शन था। डॉक्टरों ने कहा कि दवा का असर धीरे-धीरे हो रहा। इसके बाद 12 दिन से तबीयत में सुधार दिखने लगा। 15 से 16 दिन में वह घर पर ही रहते हुए बिल्कुल ठीक हो गईं। 16 जून बुधवार को हमें बताया गया कि जीनोम सिक्वेंसिंग में सैंपल में डेल्टा प्लस वैरिएंट मिला है। स्वास्थ्य विभाग की टीम ने हमारे घर और आसपास के लोगों के सैंपल की जांच की। इसमें सभी की रिपोर्ट निगेटिव आई है।
सरकार तीसरी लहर को लेकर सचेत है
उधर, मध्यप्रदेश के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा का कहना है कि सरकार लगातार कोरोना की तीसरी लहर को लेकर सचेत है। लगातार हो रही जांच से कोरोना डेल्टा प्लस का केस पकड़ में आया है।
कैसे बना डेल्टा प्लस वैरिएंट?
डेल्टा प्लस वैरिएंट, डेल्टा वैरिएंट यानी कि बी.1.617.2 स्ट्रेन के म्यूटेशन से बना है। म्यूटेशन का नाम K417N है और कोरोना वायरस के स्पाइक प्रोटीन में यानी पुराने वाले वैरिएंट में थोड़े बदलाव हो गए हैं। इस कारण नया वैरिएंट सामने आ गया। स्पाइक प्रोटीन, वायरस का वह हिस्सा होता है जिसकी मदद से वायरस हमारे शरीर में प्रवेश करता है और हमें संक्रमित करता है।
K417N म्यूटेशन के कारण ही कोरोना वायरस हमारे प्रतिरक्षा तंत्र (इम्यून सिस्टम) को चकमा देने में कामयाब होता है। नीति आयोग ने 14 जून को कहा था कि डेल्टा प्लस वैरिएंट इस साल मार्च से ही हमारे बीच मौजूद है। हालांकि, ऐसा कहते हुए नीति आयोग ने बताया कि ये अभी चिंता का कारण नहीं है।