भोपाल में रोजाना 6700 टेस्ट को लेकर नया खुलासा हुआ है। पुलिस की मदद से स्वास्थ्य विभाग ऐसे लोगों के भी कोविड टेस्ट करा रही है, जो किसी दूसरे काम से सड़क पर निकले थे। पुलिस सड़क पर किसी भी गाड़ी को ड्राइवर का 'चेहरा' देखकर रोक लेती है और हेल्थ टीम RTPCR टेस्ट के लिए सैंपल ले लेती है। अस्पताल खाली पड़े हैं और रोजाना 100 से भी कम केस आ रहे हैं। बावजूद, कोविड टेस्ट हजारों की संख्या में है। सवाल यह है कि आखिरी ये टेस्टिंग हो किनकी रही है, जबकि नए टेस्ट 1.25% ही रह गए हैं।
दैनिक भास्कर की टीम कोलार पहुंची हेल्थ विभाग की सैंपलिंग टीम के जब पीछे गयी तो पता चला कि इस टीम को 100 से 150 टेस्ट रोजाना करने का टारगेट दे रखा है। इसके लिए वह पुलिस का सहारा ले रही है। एक ही जगह बैठी रही टीम के लिए पुलिस किसी भी राह चलते व्यक्ति को हाथ देकर रोक देती है और उसका सैंपल करा दिया जाता है। केवल प्रभावी लोगों को नहीं रोका जा रहा है। इसके लिए पहले ही पुलिस गाड़ी देख लेती है। इनके सबसे ज्यादा टेस्ट दोपहिया वाहन चालकों के किए जा रहे हैं। कुल मिलाकर टागरेट पूरा करने के लिए 'चेहरा' देखकर टेस्ट की औपचारिकता पूरी की जा रही है। यही वजह है कि भोपाल का संक्रमण दर 1.25% तक आ गया है। 14 जून को 6700 से ज्यादा टेस्ट किए गए जिनमें केवल 83 पॉजिटिव पाए गए। इसके पीछे इस तरह की जबरन और फर्जी जांच सबसे बड़ी वजह सामने आई है।
दैनिक भास्कर ने एक घंटे तक टीम के काम का तरीका देखा, पढ़िए LIVE रिपोर्ट
स्पॉट : कोलार रोड भोज यूनिवर्सिटी, 15 जून दोपहर 12 बजे
केस-1- हमें कोरोना हो चुका है, अब जांच नहीं करानी
कार सवार दो लोगों को टेस्ट करने वाली टीम ने रोक कर जांच कराने के लिए कहा। इस पर कार में बैठे व्यक्ति ने इंकार कर दिया। इस पर टीम के सदस्य ने उनसे सैंपल देने का निवेदन किया तो वे बोले कि हमें जांच नहीं करानी। हमें कोरोना हो चुका है। हम जांच भी करा चुके है। फिर दोनों कार सवार बिना जांच के आगे निकल गए।
केस-2- मेरा बच्चा इंतजार कर रहा, टेस्ट नहीं कराना
अपने एक परिचित के साथ स्कूटी पर कोलार की तरफ जा रही महिला को जांच कराने के लिए रोका गया। महिला ने पहले तो आश्चर्य व्यक्त किया, फिर पूछा कि उन्हें क्यों रोका। जब उनको आरपीटीपीसी टेस्ट कराने के लिए कहा तो बोलीं कि उनको टेस्ट नहीं कराना। हालांकि, उनके साथ आए परिचित स्कूटी चालक ने टेस्ट करा लिया। महिला बिना टेस्ट कराए चली गई।
केस-3- वैक्सीन लगा ली, अब कोरोना नहीं होगा
बिजली कंपनी में रीडिंग का काम करने वाले दो कर्मचारियों को टीम ने टेस्ट कराने को कहा तो जवाब मिला कि 15 दिन पहले ही जांच कराई है। जब मैसेज दिखाने का कहा तो मोबाइल दिखाते हुए बोेले कि खराब है। फिर बोले कि हमारे ऑफिस से वैक्सीन लगा ली है। जब कहा कि वैक्सीन के बाद भी संक्रमित हो जाते है तो बोले कि हमें कोरोना नहीं होता।
केस-4- वैक्सीन लगा ली, जांच कराना जरूरी है
एक कार चालक को टीम ने रोक कर जांच कराने के लिए कहा तो बोले कि उनको टेस्ट कराने में कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन वह वैक्सीन लगा चुके हैं। क्या उनको जांच कराना जरूरी है। इस पर टीम ने कहा कि आप जांच करा सकते है। इसके बाद उन्होंने जांच कराई।
जिम्मेदार बोले-
भोपाल जिले के नोडल सैंपलिंग अधिकारी डॉ. केके अग्रवाल ने कहा कि घर से बाहर घूमने वाले लोगों से संक्रमण का खतरा ज्यादा है। इसलिए रैंडम सैंपलिंग कर रहे है। जहां तक चेहरा देखकर जांच करने का सवाल है तो स्वास्थ्य विभाग की टीम की कई लोग सुनते नहीं है। हम पुलिस की मदद से जांच करते है।
तारीख |
जांच |
पॉजिटिव मिले |
14 जून |
6750 |
83 |
13 जून |
6676 |
79 |
12 जून |
7018 |
88 |
11 जून |
7049 |
93 |
10 जून |
6823 |
97 |