मुरैना। जिले में अवैध खनन रोकने के लिए जिला प्रशासन गंभीर दिखाई नहीं दे रहा है। प्रशासन ने खनन रोकने संयुक्त रुप से पहले ही वन विभाग, खनिज, राजस्व व पुलिस की संयुक्त टीम बनाने का आदेश दिया था। इसके बावजूद इनमें से किसी भी विभाग की रुचि दिखाई नहीं दे रही हैं। दूसरी तरफ एसडीओ श्रद्धा पांढ़रे अकेले जाकर वन माफियाओं पर लगातार कार्यवाही कर रही हैं। यहां बता दें कि, वन विभाग की एसडीओ श्रद्धा पांढ़रे पर हमले के बाद प्रशासन ने चार विभागों की टीम बनाने का आदेश दिया था। चंबल आयुक्त के आदेशानुसार इस टीम में वन विभाग के साथ-साथ, राजस्व, खनिज व पुलिस विभाग के अधिकारी कर्मचारियों का अमला साथ चलेंगे। लेकिन इनमें से किसी भी विभाग ने अवैध रेत खनन को रोकने में रुचि नहीं दिखाई है। आज, तक एसडीओ श्रद्धा पांढ़रे लगातार अकेले जाकर खनन माफियाओं पर कार्यवाही कर रही हैं। हालांकि, जिला प्रशासन ने राजस्व संबंधी, अवैथ रेत खनन मामलों की सुनवाई के लिए एडीएम नरोत्तम भार्गव की नियुक्ति कर दी है। अमोलपुरा की घटना के बाद गर्माई राजनीति दूसरी तरफ अवैध खनन का ट्रेक्टर पकड़ने गए वन अमले की गोली से हुई ग्रामीण की मौत के बाद स्थानीय राजनीति गर्मा गई है। मौके पर पहुंचे स्थानीय विधायक कमलेश जाटव का वहां मौजूद एसडीओपी के गनर से मुंहवाद हो गया था। जिसमें दोनों पक्षों ने एक दूसरे पर रेत माफियाओं से वसूली के आरोप लगाए थे। वसूली के आरोप लगने के बाद दलित शोषण मुक्ति मंच के प्रांतीय संयोजक जेेके पिप्पल तथा मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव मंडल सदस्य अशोक तिवारी ने इसकी निंदा की है। उन्होंने कहा है कि सैकड़ों नागरिकों के बीच सार्वजनिक रुप से एसडीओपी के गनर द्वारा विधायक पर पुलिस से चौथ वसूली के लगाए गए आरोप अत्यंत निंदनीय हैैं। साथ में टीम को नहीं लेकर जातीं एसडीओ इस विषय में जब एडीएम नरोत्तम भार्गव से पूछा, तो उन्होंने बताया कि चंबल संभागायुक्त द्वारा चारों विभागों को मिलाकर टीम गठित करने के आदेश दिए जा चुके है। लेकिन एसडीओ अकेली ही ट्रेक्टर पकड़ने जाती हैं। उन्हें अवैध रेत खनन के राजस्व मामलों की सुनवाई का जिम्मा सौंंपा गया है।