लॉकडाउन की अवधि बढ़ने के साथ ही लोगों का तनाव, आर्थिक चिंता, घबराहट और फ्रीडम न मिलने से परेशानियां बढ़ रही हैं। इसके लिए वे मनोचिकित्सक से ऑनलाइन सलाह और काउंसिलिंग ले रहे हैं। सामान्य दिनों में 10 से 12 लोगों की काउंसिलिंग करने वाले चिकित्सकों का कहना है कि लॉकडाउन के दौरान यह संख्या बढ़कर 20 से 25 तक पहुंच गई हैं। घर में बंद लोग सबसे ज्यादा बिजनेस और नौकरी की परेशान सता रही है।
व्यापारी और प्रोफेशनल्स पुरुषों को भविष्य की चिंता सताने लगी है
लॉकडाउन में परिवार के साथ कुछ हंसी खुशी पल बिताने के बाद लोगों को अब कल की चिंता सता रही हैं। मनोचिकित्सकों का कहना है कि सामान्य दिनों की अपेक्षा लॉकडाउन में 30 से 40 फीसद लोग ज्यादा तनाव में हैं। उनमें चिड़चिड़ापन घबराहट, बोरियत और खुद को असहाय समझने की प्रवृत्ति बढ़ रही हैं। पिछले दस दिन के आंकड़े बताते हैं कि पुरुष 20 से 25 फीसद, महिलाएं 15 फीसद और बच्चों में 25 से 30 फीसद तनाव बढ़ा हैं। सभी के कारण अलग-अलग हैं।
इनका कहना है
लोगों की सामाजिक गतिविधियां खत्म हो गई हैं। एक दूसरे से बातचीत और मिलने-जुलने का दायरा भी सिमट गया हैं। ऐसे में 18 से 45 आयु वर्ग के लोगों में सबसे ज्यादा तनाव बढ रहा हैं। - डा. सम्यक जैन, मनोरोग विशेषज्ञ, मेरठ उत्तरप्रदेश
पुरुष आर्थिक कारण, बच्चे और महिलाएं फ्रीडम न मिलने के कारण अधिक परेशान हैं। इस समय पुरुषों में तनाव के केस की संख्या पहले की तुलना में 30 फीसद तक बढ़े हैं। - डा. कशिका जैन, मनोवैज्ञानिक
किस तरह की परेशानियां आ रहीं हैं
- कुछ बुरा होने की आशंका में नींद न आना।
- पुरानी यादों को याद कर भावुक होना।
- बार-बार खाने की इच्छा होना।
- किसी भी काम में मन न लगना।
- सिरदर्द, चिड़चिड़ापन, घबराहट और रोना आना।
प्रतिदिन केस के आंकड़े
- घबराहट और बेचैनी - 10 से 15
- चिड़चिड़ापन और झुंझलाहट - 8 से 10
- झगड़ालू प्रवृत्ति का बढ़ना या घुटन- 5 से 10
- किसी एक काम को बार-बार करने की प्रवृत्ति (ओसीडी) - 2 से 5